सातवें चरण के लिए दलित, अति-पिछड़े वोटर्स को साधने की कवायद में जुटीं प्रियंका, तीन दिन के वास के लिए पहुंची कबीर चौरा मठ

प्रियंका के कबीर चौरा मठ दौरे को दलित और अति पिछड़े समाज के वोटर्स को साधने के लिए भी बेहद अहम माना जा रहा है। सियासी जानकारों का मानना है कि वाराणसी में प्रियंका का कबीर चौरा मठ वास दलित और अति पिछड़ा समाज के लोगों के लिए एक बड़ा राजनीतिक संदेश देने की कोशिश है कि कांग्रेस पार्टी ही इन तबकों की हितैषी है।

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव अपने अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ रहा है। एक तरफ जहां गुरुवार को प्रदेश में विधानसभा चुनाव के छठा चरण की वोटिंग चल रही है वहीं दूसरी तरफ, सातवे और आखिरी चरण के मतदान की तैयारी में सभी राजनैतिक दल जुटे हुए हैं। इसी क्रम में गुरुवार को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाराणसी के कबीर चौरा मठ पहुंची और अगले तीन दिनों तक वो कबीर चौरा मठ ही रहेंगी।

प्रियंका के कबीर चौरा मठ दौरे को दलित और अति पिछड़े समाज के वोटर्स को साधने के लिए भी बेहद अहम माना जा रहा है। सियासी जानकारों का मानना है कि वाराणसी में प्रियंका का कबीर चौरा मठ वास दलित और अति पिछड़ा समाज के लोगों के लिए एक बड़ा राजनीतिक संदेश देने की कोशिश है कि कांग्रेस पार्टी ही इन तबकों की हितैषी है। सातवें चरण में शामिल चुनाव वाले जिलों में अति पिछड़ी जातियों एवं दलितों की संख्या अच्छी-खासी है लिहाजा कांग्रेस ने इन वोटर्स को अपने पाले में करने के लिए पूरे जोर-शोर से जुटी हुई है।

इसलिए कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में भी दलित और अति पिछड़े वर्ग के लिए काफी दूरगामी परिणामों वाली घोषणाएं की हैं। दरअसल, संत कबीर के सामाजिक न्याय और समानता के संदेश से उत्तरप्रदेश का दलित और अति पिछड़ा वर्ग खासा जुड़ाव रखता है। लिहाजा सातवे चरण के मतदान को लेकर भी प्रियंका का यह सियासी दौरा अहम हो जाता है। वहीं उनके कबीर चौरा मठ वास को लेकर राजनीतिक विद्वानों का मानना है कि प्रियंका इसके जरिए सांस्कृतिक जगत को भी एक बड़ा संदेश देने की कोशिश कर रही हैं।

बता दें कि कबीर चौरा मठ का अपना एक अलग ऐतिहासिक महत्व रहा है। दरअसल यह मठ संत कबीर की कर्म स्थली रही है। इसी मठ में उन्होंने अपना पूरा जीवन बिताया था। कबीरदास की शिक्षाओं, संदेशों एवं स्मृतियों का केंद्र, यह मठ कबीरदास के अनुयायियों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र रहा है लिहाजा देशभर के कबीरपंथियों का यहां तांता लगा रहता है। कबीर चौरा मठ सियासी दृष्टिकोण से भी ऐतिहासिक है। पं नेहरू और राष्ट्रकवि रविंद्रनाथ टैगोर समेत महात्मा गांधी भी यहां कई बार आए और इसे अपना डेरा बनाया।

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