भारत और जर्मनी की दोस्ती हुई गहरी, AI सेमीकंडक्टर सहयोग के लिए रोडमैप किया गया तैयार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ की सह अध्यक्षता में अंतर-सरकारी आयोगकी बैठक में हस्ताक्षरित समझौतों में से एक था.

दिल्ली- भारत और जर्मनी के बीच के रिश्ते अब पहले से और ज्यादा मजबूत हो गए है.बता दें कि भारत और जर्मनी ने आज एआई, सेमीकंडक्टर और स्वच्छ ऊर्जा में सहयोग के उद्देश्य से ‘नवाचार और प्रौद्योगिकी पर रोडमैप’ जारी किया है. बता दें कि बीते दिन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ की सह अध्यक्षता में अंतर-सरकारी आयोगकी बैठक में हस्ताक्षरित समझौतों में से एक था.

दो दिन पहले, जर्मनी ने ‘कुशल श्रम गतिशीलता रणनीति’ की घोषणा की थी, जिसका उद्देश्य भारत से हर साल 90,000 कुशल व्यक्तियों को व्हाइट-कॉलर और ब्लू-कॉलर नौकरियों के लिए भर्ती करना था. इसे पूरा करने के लिए आज, दोनों पक्षों ने भारत-जर्मनी प्रबंधकीय प्रशिक्षण कार्यक्रम, ‘कौशल विकास और व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण’ के क्षेत्र में सहयोग पर एक समझौता ज्ञापन और ‘श्रम और रोजगार के इरादे की संयुक्त घोषणा’ सहित अलग-अलग समझौतों पर हस्ताक्षर किए.

इस मामले पर जर्मन प्रतिनिधिमंडल ने कहा था कि कुशल श्रम रणनीति भारत पर केंद्रित है और इसका उद्देश्य भारत से जर्मनी तक कुशल श्रमिकों की गतिशीलता में सुधार करना है ताकि कार्यबल की गंभीर कमी को दूर किया जा सके.यह पहली देश रणनीति है जिसे जर्मनी ने इस संबंध में पेश किया है.

बता दें कि आईजीसी बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि रक्षा, प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, हरित और सतत विकास जैसे क्षेत्रों में बढ़ता सहयोग दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास का प्रतीक बन गया है.” रक्षा संबंधों के महत्व पर विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि “हमने बहुत ही आशाजनक कदम उठाए हैं. यह एक स्वागत योग्य विकास है और साथ मिलकर काम करने के लिए बहुत अधिक आत्मविश्वास प्रदान करता है.

इसके अलावा मिस्री ने कहा कि मोदी-स्कोल्ज़ की बातचीत में में आतंकवादरोधी मुद्दे पर चर्चा हुई और पारस्परिक कानूनी सहायता संधि से अपराधियों और आतंकवादियों पर मुकदमा चलाने में मदद मिलने की बात भी की गई. मोदी ने पिछले सप्ताह जर्मन कैबिनेट द्वारा जारी ‘भारत पर ध्यान केंद्रित करने की रणनीति’ का स्वागत किया. इस रणनीति में भारत में जर्मन कंपनियों के निवेश को बढ़ाने की बात कही गई है. मोदी ने कहा कि भारत और जर्मनी की रणनीतिक साझेदारी एक मजबूत आधार के रूप में उभरी है.उन्होंने कहा कि “यह कोई लेन-देन वाला रिश्ता नहीं है, बल्कि दो सक्षम और मजबूत लोकतंत्रों की परिवर्तनकारी साझेदारी है. खास बात ये है कि इंडो-पैसिफिक का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि “इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में कानून के शासन और नौवहन की स्वतंत्रता को लेकर गंभीर चिंताएँ हैं.हालांकि उन्होंने चीन का नाम नहीं लिया, लेकिन उनका अप्रत्यक्ष इशारा दक्षिण चीन सागर में चीन के आधिपत्य की ओर था. इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यूक्रेन और पश्चिम एशिया में चल रहे संघर्ष चिंता का विषय हैं और भारत शांति बहाली के लिए हर संभव योगदान देने के लिए तैयार है.

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