शिक्षक दिवस के मौके पर अदाणी ग्रुप के चेयरमैन ने गौतम अदाणी ने मुंबई के जय हिंद कॉलेज पहुंचे। इस दौरान उन्होंने अपनी बात कही। गौतम अदाणी ने कहा कि जय हिंद कॉलेज में सम्मानित संकाय सदस्य, सम्मानित अतिथिगण और विद्यार्थियों को संबोधित करना बड़े सम्मान की बात है। उन्होंने कहा कि भारत विभाजन की राख से जन्मी यह संस्था मानवीय भावना के लचीलेपन का एक महान उदाहरण है। मुछे यह दिलचस्प लगता है कि 75 साल पहले, दो दूरदर्शी प्रोफेसर कराची के डी जे सिंध कॉलेज से उन्होंने इसकी नींव रखी थी। अपार चुनौतियों और मानव विस्थापन के बावजूद हमारे देश के विभाजन के दौरान ऐसा हो रहा था, जिसका उन्होंने सपना देखा था। एक ऐसा भविष्य जहां शिक्षा की शक्ति लोगों को ठीक कर सकती है और एकजुट कर सकती है। इसलिए मैं आज यहां खड़ा हूं, विनम्र और आभारी हूं।
अपने जीवन में आदर्शों की आवश्यकता है
गौतम अदाणी ने कहा कि हम सभी को अपने जीवन में आदर्शों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जॉन डी जैसे अमेरिकी उद्योग के शुरुआती दिग्गजों पर विचार करें। रॉकफेलर, कॉर्नेलियस वेंडरबिल्ट या एंड्रयू कार्नी जिन्होंने वह बुनियादी ढाँचा बनाया, जिसने संयुक्त राज्य अमेरिका के भविष्य को आकार दिया। इसके अलावा हमारे अपने दूरदर्शी नेता जैसे जेआरडी टाटा, जीडी बिड़ला और धीरूभाई अंबानी, जिन्होंने भारत के आर्थिक परिदृश्य परिवर्तन में अमूल्य भूमिका निभाई। इन नेताओं की व्यावसायिक रास्तें चुनौतियों और आलाचनाओं से भरती थी। फिर भी उनकी हिम्मत ने साधारण महत्वाकांक्षा को असाधर विरासत में बदल दिया। उन्होंने दिखाया कि किसी नेता की असली पहचान उनकी उपाधियों में नहीं है।
वर्तमान की आलोचना करना आसान
इसके अलावा गौतम अदाणी ने कहा वर्तमान की आलोचना करना आसान है। लेकिन इतिहास के पास गहन योगदान को उजागर करने का तरीका है। साथ ही उन्होंने बताया कि ऐसा कहा जाता है कि हमारे संतो और पैंगम्बरों का ज्ञान अपने समय के बहुत बाद ही पहचाने गए है। इसी तरह ही मेरा मानना है कि इसली दूरदर्शी लोगों की उपलब्धियां भी उनके जीवनकाल के दौरान नहीं बल्कि उनके चले जाने के बाद ही महसूस किया जाता है।