UP: उच्चशिक्षा भगवान भरोसे, बिना शिक्षा के एग्जाम देने को मजबूर हैं छात्र, शिक्षकों का टोटा…

हमीरपुर. हमीरपुर में हायर एजुकेशन के लिए 5 सरकारी महाविद्यालय हैं, जिसके लिए भव्य इमारतें भी बनी हैं, और छात्रों की संख्या भी भरपूर है, लेकिन शिक्षकों का टोटा है, जिसकी वजह से छात्र बिना शिक्षा के एग्ज़ाम देने को मजबूर हैं, तो वहीँ महाविद्यालयों के प्रिंसिपल इस मामले में हाँथ खड़े किये हुए हैं और अपने आपको असमर्थ बता रहे हैं।

हमीरपुर. हमीरपुर में हायर एजुकेशन के लिए 5 सरकारी महाविद्यालय हैं, जिसके लिए भव्य इमारतें भी बनी हैं, और छात्रों की संख्या भी भरपूर है, लेकिन शिक्षकों का टोटा है, जिसकी वजह से छात्र बिना शिक्षा के एग्ज़ाम देने को मजबूर हैं, तो वहीँ महाविद्यालयों के प्रिंसिपल इस मामले में हाँथ खड़े किये हुए हैं और अपने आपको असमर्थ बता रहे हैं।

हमीरपुर में हायर एजुकेशन के लिए पांच डिग्रीकॉलेज हैं, उनमें से एक डिग्रीकॉलेज सुमेरपुर में है, जिसकी बड़ी सी इमारत सुमेरपुर कस्बे से बाहर जंगल में बनी है, इस कॉलेज में आने जाने के लिए मेन रोड नहीं है, छात्रों सहित शिक्षकों को जंगल के ऊबड़खाबड़ रास्तों से होकर कालेज आना पड़ता है, जिससे छात्राओं के अभिभावक बच्चों को कॉलेज भेजने में भयभीत रहते हैं, यहाँ तीनों फेकल्टी में एक हज़ार बीस सीटें हैं, लेकिन कॉलेज आने जाने का रास्ता ना होने की वजह से मात्र 250 सीटें ही भर सकी हैं, इस कॉलेज में शिक्षकों के 15 पद सृजित हैं, लेकिन तैनाती सिर्फ तीन शिक्षकों की है,ऐसे में 12 सब्जेक्ट्स के छात्र हवा में शिक्षा ले रहे हैं, और भगवान के भरोसे एग्ज़ाम देने को तैयार हैं, कालेज के प्रधानाचार्य ब्रजेन्द्र कुमार सिंह भी मानते हैं कि कॉलेज में समस्याओं का अंबार है, जिसके साथ ही शिक्षकों की बड़ी कमी है।

कुछ ऐसी ही तस्वीर मौदहा कस्बे में स्थित डिग्रीकॉलेज की हैं, यहाँ भी कॉलेज की बड़ी सी बिल्डिंग बनी है, जो कस्बे से दूर सुनसान इलाके में बनी है, जहाँ आने जाने के लिए सड़क तो बनी थी लेकिन अब जर्जर हो चुकी है, छात्र छात्राओं को यहाँ आने जाने के लिए ऑटो रिक्शा, ई-रिक्शा या निजी साधन का इस्तेमाल करना पड़ता है, अभिभावक अपने बच्चों को यहाँ भेजने में उलझन महसूस करते हैं, यहां छात्रों की संख्या 470 के करीब है, लेकिन 7 सब्जेक्ट के शिक्षकों के एवज़ में सिर्फ दो सब्जेक्ट के शिक्षक तैनात हैं, जबकि 5 सब्जेक्ट के छात्र हवा में पढ़ाई कर रहे हैं, और भगवान भरोसे इनकी शिक्षा चल रही है, ऐसे में आप अंदाज़ा लगाइए छात्र क्या ख़ाक एग्ज़ाम देंगे, डिग्रीकॉलेज में तैनात शिक्षका स्नेहलता गुप्ता का कहना है कि स्टूडेंट्स की तादात 470 के करीब हैं, सारे सब्जेक्ट के शिक्षक मिलें इसके लिए कई बार लिखा पढ़ी की जा चुकी है, लेकिन शिक्षक अभी तक नहीं मिले।

ऐसी ही डिग्रीकॉलेज की बिल्डिंग बड़ी आबादी वाले राठ कस्बे में भी बनी है, लेकिन अफसोस यहां का तो और भी बुरा हाल है, कॉलेज की बिल्डिंग अभी तक हैंडओवर नहीं हो सकी है, ऐसे में शिक्षकों की तैनाती होना या ना होने का कोई मतलब नहीं है। कुल मिला कर हमीरपुर के 5 डिग्रीकॉलेजों में से सिर्फ दो ही डिग्रीकॉलेज ऐसे हैं जिसमें सब कुछ ठीक है, जिसमें से एक हमीरपुर मुख्यालय में महिला डिग्रीकॉलेज है और दूसरा कुछेछा में राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय है, ऐसे में अगर ज़िले के छात्र छात्राओं को अच्छी शिक्षा अर्जित करनी है तो उन्हें हमीरपुर मुख्यालय में किराए का मकान लेकर रहना होगा, क्योंकि रोज़-रोज़ ज़िले के कोने कोने से मुख्यालय पहुंचना संभव नहीं है, कॉलेजों की ऐसी दुर्दशा के लिए जवाबदेही तय करने वाला कोई नहीं है जो यह बता सके कि आखिर कब तक कॉलेजों में शिक्षकों की तैनाती होगी।

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