EWS-सामान्य वर्ग 10% आरक्षण कोटा को चुनौती देने वाली याचिका पर SC में हुई सुनवाई, जानें क्या है मामला!

जी मोहन गोपाल ने संशोधन को "सामाजिक न्याय की संवैधानिक दृष्टि पर हमला" बताया. उन्होंने तर्क दिया कि आरक्षण केवल "प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है ताकि यह अवसर की समानता को न गंवाए जो कि पिछड़े वर्गों के लिए एक बेहद चिंतनीय विषय है."

सरकारी नौकरियों और प्रवेश में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के लिए 10 प्रतिशत कोटा से जुड़े एक मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई. शीर्ष अदालत ने इस पर बहस शुरू कर दी कि क्या संविधान (103वां संशोधन) अधिनियम, जिसने सरकारी नौकरियों और प्रवेश में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10 प्रतिशत कोटा पेश किया, संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन करता है.

याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील जी मोहन गोपाल ने मंगलवार को अदालत में दलीलें पेश करते हुए कहा, ‘आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण 103वां संविधान संशोधन के साथ धोखाधड़ी है. जमीनी स्तर की हकीकत यह है कि यह देश को जाति के आधार पर बांट रही है.” उन्होंने कहा, “यह लोगों के दिमाग में संविधान की पहचान को बदल देगा, जो कमजोरों के बजाय विशेषाधिकार प्राप्त लोगों की रक्षा करता है.”

जी मोहन गोपाल ने संशोधन को “सामाजिक न्याय की संवैधानिक दृष्टि पर हमला” बताया. उन्होंने तर्क दिया कि आरक्षण केवल “प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है ताकि यह अवसर की समानता को न गंवाए जो कि पिछड़े वर्गों के लिए एक बेहद चिंतनीय विषय है.”

भारत के मुख्य न्यायाधीश यू यू ललित अध्यक्षता में इस मामले की सुनवाई हुई. शीर्ष अदालत के इस बेंच में पांच-न्यायाधीश शामिल थे. पांच जजों वाली इस संवैधानिक पीठ में जस्टिस एस रवींद्र भट, दिनेश माहेश्वरी, एस बी पारदीवाला और बेला त्रिवेदी शामिल थे.

बता दें कि अगस्त 2020 में पांच-न्यायाधीशों की संवैधानिक को ईडब्ल्यूएस कोटा को चुनौती देने वाली याचिका सौंपी गई थी. इससे पहले पिछले हफ्ते मामले में हुई सुनवाई पर 10% ईडब्ल्यूएस कोटा की वैधता की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन प्रमुख प्रश्नों पर विचार किया था.

Related Articles

Back to top button
Live TV