उत्तर प्रदेश में सातवें और अंतिम चरण का मतदान शाम करीब 6 बजे समाप्त होने के बाद, तमाम समाचार चैनलों ने एग्जिट पोल के नतीजे पेश किए। इन एग्जिट पोल के नतीजों से 5 राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों पर मतदाताओं के मूड का अंदाजा लगाया जा सकता है। शाम 6.30 बजे एग्जिट पोल पर लगे प्रतिबंध हटने के बाद तमाम समाचार चैनेल्स ने प्रदेश में अगली सरकार को लेकर एग्जिट पोल के माध्यम से एक धुंधली छवि प्रस्तुत की।
देश के पांच राज्यों में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों के नतीजे गुरुवार 10 मार्च को घोषित किए जाएंगे हालांकि देर शाम जारी एग्जिट पोल के नतीजों के बाद यह पता चला कि पांचो राज्यों (यूपी, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर) में कौन सी पार्टी आगे है। अब सवाल यह है कि आखिर एग्जिट पोल किस हद तक सही साबित होते हैं।
तो बता दें कि एग्जिट पोल की विश्वसनीयता कई कारकों पर निर्भर करती है। ये नतीजे नमूनों के आकार, भौगोलिक कवरेज और मतदाताओं के बयान आदि कई कारकों द्वारा निर्धारित होते हैं। आमतौर पर, जब मतदाता समूहों में अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं, तो उनके मूड का अनुमान लगाना आसान होता है। हालांकि, जब लोगों का एक वर्ग अपना झुकाव दिखाने से इनकार करता है तो सर्वेयर्स को गलत आंकड़े मिल जाते हैं। इस प्रकार, कभी-कभी चुनाव के बाद के ये सर्वेक्षण सही होते हैं और कई मौकों पर गलत भी साबित हो जाते हैं।
साल 2012 में, चुनावों के बाद लगभग सभी सर्वेक्षणों ने अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी का बेहतर प्रदर्शन दिखाया था। हालांकि तब सपा सरकार की भविष्यवाणी नहीं की थी। 2012 के एग्जिट पोल में यूपी में त्रिशंकु विधानसभा के आसार जताए गए थे। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के लिए भी पिछले चुनाव की तुलना में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद थी, लेकिन सामान्य बहुमत किसी को नहीं मिल रहा था। हालांकि, जब अंतिम परिणाम आए, तो समाजवादी पार्टी ने कुल 403 में से 224 सीटें जीतकर शानदार जीत दर्ज की। वहीं मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को 80 सीटें मिली थीं। जबकि भाजपा और कांग्रेस ने क्रमशः 47 और 28 सीटें जीती थीं।
वहीं साल 2017 में, अधिकांश एग्जिट पोल सही थे क्योंकि उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए पूर्ण बहुमत की सही भविष्यवाणी की थी। मोदी लहर से प्रेरित, भाजपा ने 14 साल बाद यूपी में सत्ता में वापसी की, तीन-चौथाई बहुमत हासिल किया और अपने प्रतिद्वंदियों समाजवादी पार्टी-कांग्रेस गठबंधन और मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के प्रदर्शन को ध्वस्त कर दिया। जबकि चुनाव के परिणामों में 403 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी ने 312 सीटें जीती थीं। उसके सहयोगी अपना दल (एस) और सुभासपा ने क्रमशः नौ सीटें और चार सीटें हासिल की थीं, जिससे गठबंधन की कुल संख्या 325 हो गई। दूसरी ओर, सपा 47 सीटें हासिल करने में सफल रही, जबकि उसकी सहयोगी कांग्रेस को 7 सीटें मिलीं। बसपा ने 19 सीटों पर जीत दर्ज की थी और निराशाजनक रूप से तीसरे स्थान पर रही थी।
एक्जिट पोल वास्तव में मतदान के बाद का सर्वेक्षण है जो मतदाता द्वारा अपना वोट डालने के तुरंत बाद किया जाता है। एग्जिट पोल का एकमात्र उद्देश्य मतदाताओं से एकत्र की गई जानकारी के आधार पर किसी भी चुनाव के परिणाम की भविष्यवाणी करना है। वे कई संगठनों द्वारा संचालित किए जाते हैं। एग्जिट पोल की भविष्यवाणी के लिए सैंपलिंग बुनियादी कदम होता है।
विधानसभा चुनाव 2022, सभी राजनीतिक दलों ने डटकर लड़ा है। उत्तर प्रदेश में, यह भारतीय जनता पार्टी, अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, मायावती की बहुजन समाज पार्टी और अन्य क्षेत्रीय दलों के बीच एक बहुकोणीय मुकाबला था। चुनाव के मुख्य मुद्दे बेरोजगारी, महंगाई, किसानों की दुर्दशा, महिला सुरक्षा और यूपी में कानून व्यवस्था रहे। अब 10 मार्च को ईवीएम खुलने के बाद क्या परिणाम सामने आते हैं यह देखने वाली बात होगी।