दिल्ली NCR के मजदूरों पर पड़ने वाली है उद्योग बंदी की मार, अगले 35 दिनों में बंद हो जाएंगे साढ़े 4 लाख से ज्यादा उद्योग

आयोग ने यह भी कहा था कि आदेश का अनुपालन ना होने की दशा में उद्योग बंद करने होगे. प्रदुषण पर लगाम लगाने के लिहाज से इन उद्योगों में चलने वाले डीजल जेनरेटर भी गैस पर स्विच करने के आयोग ने आदेश दिये है. वहीं उद्यमियों की माने तो आयोग का फरमान पूरी तरह गैर व्यवहारिक है.

यूपी में आने वाले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के साढ़े 4 लाख से ज्यादा छोटे और मझौले उद्योग अगले 35 दिन में बंद हो जायेगे. उद्योगों की बंदी की मार करीब 5 करोड़ मजदूरों के परिवारों पर पड़ने वाली है. प्रदूषण और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने 30 सितंबर तक एनसीआर के सभी उद्योगों को पाइपलाइन गैस पर आने का आदेश दिया है.

अक्टूबर और उसके बाद दिल्ली-एनसीआर पर छाने वाली प्रदूषण की चादर को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग का गठन किया है. आयोग ने फरवरी 2022 में आदेश दिया कि एनसीआर में आने वाली सभी उद्योग सितंबर 2022 तक पीएनजी यानी पाइप लाइन गैस और बायोमास ईधन पर आधारित कर दिये जाये.

आयोग ने यह भी कहा था कि आदेश का अनुपालन ना होने की दशा में उद्योग बंद करने होगे. प्रदुषण पर लगाम लगाने के लिहाज से इन उद्योगों में चलने वाले डीजल जेनरेटर भी गैस पर स्विच करने के आयोग ने आदेश दिये है. वहीं उद्यमियों की माने तो आयोग का फरमान पूरी तरह गैर व्यवहारिक है.

दरअसल, एमएसएमई के तहत आने वाले छोटे और मझौले उद्योगों को 5 से 300 किलोवाट तक के जेनरेटर की जरूरत होती है. बाजार में 900 किलोवाट से कम वाले गैस आधारित जेनरेटर मौजूद नही है. इसके अलावा जिन औद्योगिक क्षेत्रों को पीएनजी पर लाने का फरमान दिया गया है वहां अभी गैस की कनैक्टिविटी दुष्कर है.

वहीं पीएनजी की कीमतें मौजूदा ईधन से 4 से 5 गुना अधिक है. ऐसे में प्रॉडक्शन लागत बढ़ने से बाजार में हड़कंप मच जायेगा, इसलिए जरुरी है कि या तो सरकार पीएनजी पर उद्योगों को सब्सिडी दे या फिर उसे व्यवहारिक बनाने के लिए जीएसटी के दायरे में लेकर आये.

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