
भारत अब ऊर्जा GCCs (ग्लोबल कंट्रोल सेंटर्स) के लिए एक पसंदीदा गंतव्य बन गया है, जो नवीकरणीय ऊर्जा पर केंद्रित तकनीकी केंद्र स्थापित कर रहे हैं, साथ ही अपस्ट्रीम, मिडस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम में महत्वपूर्ण ऑफशोरिंग अवसर प्रदान कर रहे हैं। GCCs इस परिवर्तन को साकार करने में सहायक हैं, जो ऊर्जा समाधानों, ग्रिड आधुनिकीकरण और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में अपने कार्यक्षेत्र का विस्तार कर रहे हैं।
भारत में 77 ऊर्जा GCCs स्थापित, 50,000 लोग कार्यरत
EY के आंकड़ों के अनुसार, भारत में ऊर्जा क्षेत्र में 77 GCCs हैं, जो तेल और गैस, पावर और यूटिलिटीज, नवीकरणीय ऊर्जा और खनन जैसे क्षेत्रों में फैले हुए हैं। इन GCCs में कुल मिलाकर लगभग 50,000 लोग कार्यरत हैं। इनमें से 24,000 से अधिक पेशेवर भारत में ऊर्जा-केन्द्रित GCCs में कार्यरत हैं, और इनकी अधिकांश नियुक्तियाँ बेंगलुरु, मुंबई, पुणे, दिल्ली NCR, हैदराबाद और चेन्नई में हैं।
नवीकरणीय ऊर्जा में वृद्धि के साथ निवेश बढ़ा
2030 तक वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 2024 की तुलना में 2.7 गुना बढ़ने का अनुमान है, और इस वृद्धि के साथ ये कंपनियाँ नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में अधिक निवेश कर रही हैं, यह मानते हुए कि उन्हें अधिक टिकाऊ ऊर्जा समाधान की दिशा में परिवर्तन करना आवश्यक है, ताकि वे नियामक दबाव और उपभोक्ता अपेक्षाओं को पूरा कर सकें।
भारत में ऊर्जा GCCs का विस्तार
इन कंपनियों का कहना है कि GCCs अपनी कार्यक्षेत्र का विस्तार करते हुए इंजीनियरिंग, R&D और प्रयोगशाला कार्यों के लिए भारत के विशाल प्रतिभा पूल का लाभ उठा रही हैं। प्रमुख गतिविधियों में 2D/3D डिजिटल इंजीनियरिंग, ब्राउनफील्ड/ग्रीन इंजीनियरिंग, टर्नअराउंड प्रबंधन, भूभौतिकीय संचालन, और पेट्रोफिजिकल अध्ययन शामिल हैं।
भारत में पेट्रोलियम इंजीनियरिंग भूमिकाओं का उदय
हाल ही में भारत में पेट्रोटेक और पेट्रोलियम इंजीनियरिंग भूमिकाओं की शुरुआत हुई है, जो ऊर्जा GCCs के लिए एक नई दिशा को दर्शाता है। यह बदलाव न केवल पोर्टफोलियो के विस्तार को दर्शाता है, बल्कि भारत की क्षमता का ताजगी से मूल्यांकन भी करता है, जो पारंपरिक पेशकशों से परे विविध कौशल सेट प्रदान कर सकता है।
समीक्षा: लागत में कटौती और कार्य क्षमता में बदलाव
इन कंपनियों को लागत में कटौती और परिचालन दबावों के बीच इन बदलावों को अपनाना पड़ रहा है, लेकिन यह स्पष्ट है कि वे ऊर्जा क्षेत्र में भारत के संभावित योगदान को समझते हुए नवाचार की दिशा में कार्य कर रहे हैं।