भारत का डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) सिस्टम: दशकों में आया क्रांतिकारी बदलाव

आखिरी मील बैंकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, और मजबूत शिकायत निवारण प्रणालियों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए ताकि कोई भी लाभार्थी छूट न सके।

DBT सिस्टम ने 2013 में भारत के कल्याण वितरण तंत्र को नया रूप दिया, वैश्विक स्तर पर सफलता का प्रतीक बना।

भारत के डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) सिस्टम ने 2013 में शुरुआत के बाद से देश के कल्याण कार्यक्रमों की कार्यक्षमता और समावेशिता को नया आकार दिया है। अब यह सिस्टम विश्व स्तर पर एक मापदंड बन चुका है। ब्लूक्राफ्ट की एक नई रिपोर्ट में DBT के पिछले दशक (2009-2024) के प्रभाव को स्पष्ट किया गया है, जिसमें कई प्रमुख उपलब्धियों को उजागर किया गया है।

DBT ने 3.48 लाख करोड़ रुपये की बचत की

DBT सिस्टम ने 3.48 लाख करोड़ रुपये की बचत की है, जिससे कल्याण कार्यक्रमों में लीकेजेस को कम किया गया और सरकारी फंड के दुरुपयोग को रोकने में मदद मिली। इसके द्वारा Aadhaar-लिंक्ड सत्यापन और तकनीक का उपयोग किया गया, जिससे घोस्ट बेनिफिशियरी (झूठे लाभार्थी) को समाप्त किया गया और यह सुनिश्चित किया गया कि सब्सिडी उन लोगों तक पहुंच रही है जिन्हें इसकी आवश्यकता है।

कल्याण बजट में वृद्धि, लेकिन सब्सिडी में कमी

भारत का कल्याण बजट पिछले 15 वर्षों में बढ़कर 2.1 लाख करोड़ रुपये से 8.5 लाख करोड़ रुपये हो गया है। हालांकि, सब्सिडी पर खर्च होने वाले बजट की हिस्सेदारी आधी हो गई है, जो पहले 16 प्रतिशत थी, अब 9 प्रतिशत हो गई है। इससे न केवल वित्तीय जिम्मेदारी सुनिश्चित हुई है, बल्कि कल्याण कार्यक्रमों का दायरा भी बढ़ा है।

खाद्य सब्सिडी से 1.85 लाख करोड़ रुपये की बचत

खाद्य सब्सिडी ही DBT के तहत सबसे बड़ी बचत का हिस्सा बनी, जिससे 1.85 लाख करोड़ रुपये की बचत हुई। इसके अलावा, MGNREGS और PM-KISAN जैसे प्रमुख कार्यक्रमों ने भी महत्वपूर्ण सफलता हासिल की। MGNREGS ने 98 प्रतिशत समय पर मजदूरी भुगतान किया, जबकि PM-KISAN ने 22,106 करोड़ रुपये की बचत की।

DBT का प्रभाव और भविष्य की दिशा

हालांकि कुछ आलोचनाएं भी उठी हैं कि DBT ने कल्याण खर्चों को कम किया है, लेकिन रिपोर्ट के आंकड़े दर्शाते हैं कि यह प्रणाली संसाधनों के उपयोग में सुधार करती है। भारत ने वेलफेयर एफिशिएंसी इंडेक्स (WEI) में 0.32 से बढ़कर 0.91 की वृद्धि की है, जो कल्याण वितरण में सुधार का संकेत है।

DBT के माध्यम से भारत ने विकसित भारत 2047 की दिशा में एक कदम और बढ़ाया है, जहां यह प्रणाली स्वास्थ्य, कृषि और ग्रामीण रोजगार में संसाधनों को पुनः निर्देशित करती है। इस सफलता ने साबित कर दिया कि प्रौद्योगिकी का सही उपयोग सरकार के खर्च को सुगम बना सकता है और नागरिकों को बेहतर सेवाएं प्रदान कर सकता है।

भविष्य की चुनौतियाँ और नवाचार

हालाँकि DBT ने महत्वपूर्ण सफलताएं प्राप्त की हैं, फिर भी कुछ चुनौतियाँ बनी हुई हैं। ग्रामीण डिजिटल खाई, निर्वाचन में गलती और धोखाधड़ी के नये तरीकों से निपटने के लिए निरंतर नवाचार की आवश्यकता है। भविष्य में AI-आधारित धोखाधड़ी पहचान, आखिरी मील बैंकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, और मजबूत शिकायत निवारण प्रणालियों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए ताकि कोई भी लाभार्थी छूट न सके।

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