बेकसूर पाकिस्तानी वारिस रजा ने 19 साल जेल की सलाखों के पीछे काटे, अब 3 साल से पुलिस की कालकोठरी में है बंद

सचिन त्यागी, रवि सुलानिया

70 साल के पाकिस्तानी वारिस उर्फ रजा 3 बरस से शामली पुलिस की सुपुर्दगी में है. रजा को जिले के बाबरी थाने की एक कोठरी में रखा गया है. 19 साल जेल की सजा काटने वाले रजा को 2019 में हाईकोर्ट के आदेश पर रिहाई मिली थी. शामली पुलिस ने सन् 2000 में पाकिस्तानी रजा और उनके 3 भारतीय दोस्तों पर जैश-ए-मुहम्मद का आतंकी होने का आरोप लगाया था.

पाकिस्तान के वजीराबाद में दूध की डेयरी चलाने वाले वारिस उर्फ रजा सन् 2000 में शामली के जौला गांव आये थे. इस गांव में उनके पुराने दोस्त अशरफ उर्फ नन्हें मियां रहा करते थे. एक दिन जब वह दोस्त के घर में थे, उन्हें और उनके दोस्त को तब के जिला मुजफ्फनगर की पुलिस उठाकर कांधला थाने ले गयी. वारिस उर्फ रजा और उनके दोस्त पर पुलिस ने आरोप लगाये कि वह अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवादी संगठन जैश-ए-मुहम्मद के आतंकवादी है. पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक उनके पास से गोला-बारूद भी बरामद हुआ. पुलिस ने उनके खिलाफ बिना वैध कागजात के भारत में घुसने का भी केस दर्ज किया था.

सन्-2000 में इस गांव से हुई थी रजा और उनके दोस्त नन्हें की गिरफ्तारी

फॉरनर्स एक्ट, एक्सप्लोसिव सवस्टेंस एक्ट और पासपोर्ट एक्ट में रजा को सजा सुनाई गयी. लेकिन इन केसों की सजा पूरी करने के बाद उन्हें देश के खिलाफ आतंकी साजिश रचने के आरोप में 2017 में निचली अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई. इस दौरान उनके दोस्त के दो साथी छूट चुके थे लेकिन अशरफ उर्फ नन्हें मियां आगरा सेंट्रल जेल भेजे गये. रजा को बरेली सेंट्रल जेल में उम्रकैद की सजा भुगतने के लिए भेज दिया गया. 2019 में रजा ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की. हाईकोर्ट ने रजा के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नही पाया.

हाईकोर्ट ने माना बिना अनुमति के विदेशी पर चलाया मुकदमा-
हाईकोर्ट ने पाया कि पुलिस ने नियमों को ताक पर रखकर रजा को जेल कराई है. विदेशी नागरिक के खिलाफ केस चलाने के लिए राज्य और केन्द्र सरकार की परमीशन की जरूरत होती है लेकिन पुलिस ने यह औपचारिकता पूरी करे बिना ही रजा के खिलाफ मुकदमा चलाया. हाईकोर्ट ने पूरी प्रक्रिया को नियमविरूद्ध मानते हुए रजा की उम्रकैद की सजा खारिज कर दी और उसे पुलिस के हाथों सुपुर्द कर दिया.

नन्हें मियां, रजा जिनसे मिलने पाकिस्तान से आये

22 साल से पिता के इंतजार में चल बसी मां-
भारत समाचार ने पाकिस्तान के वजीराबाद में रह रहे वारिस रजा के बेटे गुलजार से बात की. उन्होने बताया कि 2019 में एक अखबार की कटिंग किसी ने उन्हें भेजी थी और बताया था कि उनके पिता जेल से छूट गये है. पाकिस्तानी एम्बेंसी से लगातार संपर्क के बाबजूद उनके पिता का पता नही चल पाया. 9 भाई-बहिनों में गुलजार सबसे बड़े है. सभी की पढ़ाई-लिखाई और शादियां करके उन्होने पिता के फर्ज भी निभाये है. अब सभी भाई-बहिनों और रिश्तेदारों को पिता के घर लौटने का इंतजार है.

जेल से छूटने के बाद पिता से कट गया था कनैक्शन-
गुलजार ने यह भी बताया कि 20 बरस से पिता का इंतजार कर रही मां बिलकिस की दो साल पहले मौत हो गयी. उन्होने रजा को कई चिठ्ठियां लिखी थी. कुछ चिठ्ठियों के जबाब मिल सके तो कुछ बेजबाब ही रह गयी. गुलजार को भारतीय मीडिया के जरिये ही पिता के एक थाने की कोठरी में होने की जानकारी मिली है. उन्हें उम्मीद है कि अब भारत-पाक की सरकारें उनके पिता की घर-वापिसी के लिए जरूरी इंतजाम करेगीं.

बाबरी थाने की यहीं सीढ़ियां उस कोठरी तक जाती है जहां वारिस रजा को रखा गया है

रजा के साथ उनके दोस्त नन्हें ने भी चुकाई दोस्ती की कीमत-
रजा के दोस्त नन्हें मियां मुजफ्फरनगर के जौला गांव में रहते है. जईफी के कारण अब कुछ भी कर पाना उनके वश में नही है. गांव में किसी से मिलते-जुलते भी नही है. उनकी मानें तो जिंदगी पर पुलिस की हरकत की वजह से बदनुमा दाग लग गया. कांधला के एक दोस्त के घर रजा से मुलाकात हुई और फिर दोनो दोस्त हो गये. रजा कई बार उनके घर आये लेकिन उस रोज पुलिस ने छापा मारकर उन्हें उठाया और फिर ढेरों मुकदमें उन पर लाद दिये गये. उनके भतीजे और भाई को भी पुलिस ने जेल भेजा था.

बेटा बोला- थानेदार ने पासपोर्ट फाड़कर आतंकवादी होने का कलंक लगाया-
गुलजार ने बताया कि उनके पिता गिरफ्तारी के बाद जेल से उन्हें चिठ्ठी लिखी थी. उन्होने लिखा कि थाने में पुलिस ने उन्हें जब आतंकवादी बताना शुरू किया तो उन्होने इस बात का विरोध किया. उन्होने थानेदार को अपना पासपोर्ट दिखाया तो थानेदार ने पासपोर्ट फाड़कर फैंक दिया और उन्हें उनके दोस्त के साथ जबरन थाने में बंद कर दिया. इसके बाद उनके खिलाफ कई मुकदमें दर्ज हुए. वह अब अपने पिता की घरवापिसी चाहते है.

कानूनी लिहाज से बेहद पेंचीदा इस मामले में थाना पुलिस और जिले के पुलिस अफसर कुछ भी बोलने को तैयार नही है. भारत समाचार ने एसपी शामली सुकीर्ति माधव से फोन पर बात करनी चाही लेकिन उन्होने मामले से जुड़ी बात एसएमएस के जरिये भेजने को कहा. भारत समाचार ने रजा के बारे में जानकारी और वर्तमान स्थिति जाननी चाही है. लेकिन एसपी शामली की ओर से अब तक कोई जबाब नही आया है. उनका जबाब आते ही उसे इस खबर पर अपडेट किया जायेगा.

सन् 2000 से लेकर 2019 तक बेगुनाह रजा और उनके दोस्त नन्हें मियां ने 19 साल जेल की सलाखों के पीछे काटे. नन्हें मिया जेल से छूटने के बाद अपने गांव पहुंच गये लेकिन रजा का घर पाकिस्तान में था इसलिए पुलिस उन्हें थाने की कोठरी में रखकर उनकी उम्र पूरी होने का इंतजार कर रही है. पुलिस ने हाईकोर्ट के आदेश के बाद रजा को उनके देश भिजवाने के लिए भी कोई कार्रवाई नही की. महज पाकिस्तानी होने का ठप्पा लगा होने की सजा रजा ने 19 साल जेल की कालकोठरी में भुगती और अब थाने की कोठरी में अपनी जिंदगी के आखिरी दिन काट रहे है.

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