
भगवान जगन्नाथ इन दिनों एकांतवास में चले गए हैं, और इसके चलते पुरी के जगन्नाथ मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए गए हैं,पंचांग के अनुसार हर साल ज्येष्ठ पूर्णिमा के बाद भगवान जगन्नाथ बीमार हो जाते हैं और इस कारण 15 दिनों तक मंदिर के कपाट भक्तों के दर्शन के लिए बंद कर दिए जाते हैं इस दौरान एकांतवास में रखकर भगवान का उपचार विशेष औषधियों से किया जाता है।
रथ यात्रा का त्यौहार जगन्नाथ धाम में बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है, हर साल भगवान् जगन्नाथ स्वयं अपनी इच्छा से बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ मंदिर से बाहर आतें है और रथ यात्रा कर अपनी मौसी श्री गुंडिचा देवी से मिलने जाते हैं।
हर साल 15 दिनों के लिए भगवान जगन्नाथ के बीमार होने के पीछे कई प्रचलित कथाएं हैं, एक मान्यता यह भी है कि, ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भक्तों द्वारा स्नान कराने के बाद भगवान रात में बीमार पड़ जाते है. उन्हें स्वस्थ करने के लिए वैद्य द्वारा काढ़ा पिलाया जाता है, 15 दिनों तक वे केवल काढ़ा और फलों का रस ही पीते हैं। साथ ही पूरे 15 दिनों तक भगवान को शीतल लेप भी लगाया जाता है और रात को सोने से पहले मीठा दूध अर्पित किया जाता है. इस दौरान मंदिर में न तो घंटी बजती है ना भक्त दर्शन कर पाते हैं और ना ही भगवान को अन्न का भोग लगाया जाता है।
15 दिनों तक भगवान जगन्नाथ का उपचार चलेगा और प्रतिदिन वैद्य उनकी चिकित्सा करेंगे. इन 15 दिनों तक भगवान एकांतवास में विश्राम करेंगे, 19 जून को भगवान जगन्नाथ ठीक हो जाएंगे और स्वस्थ्य होने के बाद वे भक्तों को दर्शन देंगे और 20 जून को धूमधाम से रथ यात्रा निकाली जाएगी।