झांसी रेलवे स्टेशन: रफ्तार, विरासत और राष्ट्रीय कनेक्टिविटी का ऐतिहासिक केंद्र,जल्द ही पूरे करने वाला है 150 साल

भारतीय रेलवे की दूसरी सबसे उच्चतम श्रेणी मानी जाती है। यहां प्रतिवर्ष लगभग एक करोड़ यात्री सफर करते हैं, और प्रतिदिन करीब 23 हजार यात्री इस स्टेशन का उपयोग करते हैं।

झांसी रेलवे स्टेशन भारतीय रेलवे के इतिहास में एक महत्वपूर्ण और गौरवपूर्ण स्थान रखता है। साल 1988 में देश की पहली शताब्दी एक्सप्रेस, जो नई दिल्ली और ग्वालियर के बीच चलाई गई थी, झांसी से होकर गुजरी। यह ट्रेन बाद में झांसी से भोपाल तक विस्तार पाई और 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार तक पहुँची। इसके बाद साल 2016 में शुरू हुई गतीमान एक्सप्रेस (दिल्ली–झांसी) उस समय देश की दूसरी सबसे तेज़ ट्रेन बनी। वर्तमान में, दिल्ली–भोपाल के बीच चलने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस भी झांसी से होकर गुजरती है। इस प्रकार, झांसी रेलवे स्टेशन को देश की दो सबसे तेज़ ट्रेनों की मेज़बानी का सम्मान प्राप्त है।

Photo credit : Vamsi Andra.IAS

झांसी रेलवे स्टेशन का इतिहास भी बेहद समृद्ध और विविधतापूर्ण है। यह स्टेशन 1880 में इंडियन मिडलैंड रेलवे द्वारा निर्मित किया गया था और वर्तमान में यह देश के प्रमुख रेल मार्गों, जैसे पोरबंदर–सिलचर, दिल्ली–चेन्नई, दिल्ली–मुंबई, भोपाल–कानपुर और झांसी–प्रयागराज से जुड़ा हुआ है। स्टेशन की वास्तुकला झांसी के ऐतिहासिक किले और रानी महल से प्रेरित है, जिसमें रानी लक्ष्मीबाई की वीरता और गौरव की झलक मिलती है। सफेद और मरून रंगों का संयोजन इस स्टेशन की विशिष्ट पहचान बन चुका है, जिसे कई अन्य स्टेशनों में भी अपनाया गया है।

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झांसी रेलवे स्टेशन को नॉन-सबअर्बन ग्रेड-2 (NSG-2) श्रेणी प्राप्त है, जो भारतीय रेलवे की दूसरी सबसे उच्चतम श्रेणी मानी जाती है। यहां प्रतिवर्ष लगभग एक करोड़ यात्री सफर करते हैं, और प्रतिदिन करीब 23 हजार यात्री इस स्टेशन का उपयोग करते हैं। 145 सालों से भी अधिक पुराना यह ऐतिहासिक स्टेशन जल्द ही अपने 150 साल पूरे करने जा रहा है, जिसके लिए झांसी रेलवे स्टेशन अपनी सेस्क्वीसेंटेनियल (150वीं वर्षगांठ) समारोह की तैयारी कर रहा है।

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झांसी रेलवे स्टेशन न केवल ऐतिहासिक विरासत का प्रतीक है, बल्कि यह भारत की रेल यात्रा के महत्वपूर्ण केंद्रों में से एक भी है, जो तेज़ रफ्तार, राष्ट्रीय कनेक्टिविटी और यात्रियों की सुविधा के लिहाज से हमेशा से अहम रहा है।

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