कौन हैं लखनऊ के अमर शिवदेव ? जो बिना रुके लगाते हैं 200 KM की दौड़, अब एशियन चैंपियनशिप में करेंगे भारत का प्रतिनिधित्व

लखनऊ. लखनऊ में गोमतीनगर विस्तार के खरगापुर में रहने वाले 27 वर्षीय अमर शिव देव इन दिनों चर्चा का विषय बन गए है। एलएलबी की पढाई कर रहे अमर शिव देव राजधानी लखनऊ सहित उत्तर प्रदेश और देश का नाम रोशन करने की तैयारी में है।

लखनऊ. लखनऊ में गोमतीनगर विस्तार के खरगापुर में रहने वाले 27 वर्षीय अमर शिव देव इन दिनों चर्चा का विषय बन गए है। एलएलबी की पढाई कर रहे अमर शिव देव राजधानी लखनऊ सहित उत्तर प्रदेश और देश का नाम रोशन करने की तैयारी में है। एथलीट अमर शिव देव को एशियन चैम्पियनशिप के लिए भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौक़ा मिला है। ये चैम्पियनशिप दो माह बाद जुलाई माह में बेंगलुरु में खेली जाएँगी.

एथलीट अमर शिव देव ने ये मुकाम अपनी कड़ी मेहनत और संघर्ष से हासिल किया है। बिना किसी कोच बिना किसी जिम और ना ही कोई ट्रेनर के अमर शिव देव 200 किलोमीटर तक दौड़ जाते है। खुद सुबह उठकर रोजाना जनेश्वर मिश्र पार्क में 40 से 50 किलोमीटर की दौड़ लगा प्रैक्टिस करते है। कुछ समय पहले हुई बेंगलुरु में 24 घंटे की मैराथन में नॉन स्टॉप 218 से अधिक किलोमीटर की दौड़ में मैडल हासिल किया है। इससे पहले 2019 में इकाना स्टेडियम में 42 किलोमीटर की आयोजित मैराथन में कांस्य पदक भी जीता था। इसके साथ ही 2019 में ही बेंगलुरु में 250 किलोमीटर की मैराथन में जीत हासिल की ये जंगल के कठिन रास्तो में आयोजित हुई और चोट के बाद भी अम्र शिव देव लगातार तीन दिनों तक दौड़ते रहे। साथ ही मुंबई में अल्ट्रा मैराथन में 24 घंटे दौड़ पूरी कर रजत पदक भी हासिल किया।

अमर शिव देव सिर्फ दौड़ में ही नहीं बल्कि स्पाइडरमैन पुशअप के भी खिलाडी है। उंगलियों के सहारे 1 मिनट में 44 पुशअप लगा रिकार्ड बना चुके है ये रिकार्ड इंटर नेशनल वंडर बुक ऑफ़ रिकार्ड्स में दर्ज किया गया है। अपनी इस सफलता के लिए अमर शिव देव अपने पिता उदय राज को श्रेय देते है। तो वही अमर के पिता और योग टीचर उदय राज और उनकी मां को अब उम्मीद है कि होने वाली एशियन चैम्पियन शिप में बेटा देश प्रदेश के साथ लखनऊ का नाम रोशंन कर स्वर्ण पदक हासिल करेगा।

वही अमर शिव देव को भी ये विश्वाश है की होने वाली एशियन चैम्पियनशिप में वो भारत की और से खेलकर देश का नाम अपनी जीत और मैडल हासिल कर बढ़ाएंगे। हालांकि इस बात की तकलीफ भी है कि सरकार की ओर से कोई मदद वा आश्वाशन नहीं मिला। बहरहाल अमर ने अपने कड़े संघर्ष और मेहनत से अब तक कई मैडल और शार्टीफिकेट हासिल कर चुके है।

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