
Lucknow: दिल्ली विधानसभा चुनावों में बहुजन समाज पार्टी (BSP) के लिए 2025 का साल महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। पार्टी के सिकुड़ते जनाधार के बावजूद, BSP प्रमुख मायावती ने आगामी चुनावों के लिए अपनी रणनीतियों को मजबूती से पेश किया है। मायावती ने लखनऊ में एक समीक्षा बैठक आयोजित की, जिसमें पार्टी के दोनों भतीजे, आकाश आनंद और ईशान आनंद भी मौजूद थे। यह बैठक और उनके भतीजों की सक्रियता, BSP के भविष्य को लेकर कई सवालों और चर्चाओं को जन्म दे रही है।

आकाश और ईशान की राजनीति में एंट्री
15 जनवरी को मायावती के जन्मदिन पर एक खास घटनाक्रम हुआ, जब उनके छोटे भतीजे, ईशान आनंद, को पहली बार मंच पर पेश किया गया। इससे पहले, मायावती के बड़े भतीजे आकाश आनंद ही पार्टी के सियासी मोर्चे पर सक्रिय थे। अब ईशान की एंट्री ने आकाश के खेमे में खलबली मचा दी है, और सियासी गलियारों में यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या मायावती ने आकाश को किनारे करने का मन बना लिया है?

सियासत में एंट्री की अटकलें
मायावती ने ईशान आनंद का परिचय इस तरह से दिया, “ये ईशान आनंद हैं, जो दिल्ली से पढ़ाई करके लौटे हैं और फिलहाल अपने पिता के कारोबार में हाथ बंटा रहे हैं।” ईशान ने लंदन से लॉ की पढ़ाई की है और उनकी सियासत में एंट्री की अटकलें इसलिए भी तेज हैं, क्योंकि यही तरीका मायावती ने आकाश आनंद को पार्टी में लाने के लिए अपनाया था।

2027 में ईशान आनंद होंगे BSP के युवा चेहरा?
ईशान आनंद के सियासत में उतरने की चर्चाएं 2027 के विधानसभा चुनाव को लेकर तेज हो गई हैं। अगर ईशान राजनीति में आते हैं, तो इसका प्रभाव BSP और अन्य राजनीतिक दलों पर पड़ सकता है, खासकर चंद्रशेखर की पार्टी और समाजवादी पार्टी पर। इस बार मायावती का युवा दांव कितना सफल होगा, यह सवाल सभी के मन में है।

आकाश आनंद और BSP का सिकुड़ता जनाधार
वही दिल्ली में भी BSP का जनाधार लगातार घटता जा रहा है। 2008 में पार्टी ने 14% वोट शेयर हासिल किया था, लेकिन इसके बाद 2013, 2015 और 2020 में पार्टी का वोट शेयर घटता गया। 2020 में BSP का वोट शेयर सिर्फ 0.71% रह गया, और सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। अब, BSP के दिल्ली अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह ने उम्मीद जताई है कि पार्टी इस बार बेहतर प्रदर्शन करेगी।

दूसरे भतीजे ईशान संभालेंगे माया की कुर्सी?
दरअसल, आकाश आनंद को 2020 के चुनाव में पार्टी की ओर से बड़ी जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन वह उस पर पूरी तरह खरे नहीं उतर पाए। अब सवाल यह उठता है कि क्या मायावती अपने दूसरे भतीजे ईशान को राजनीति में उतारकर पार्टी को फिर से मजबूत कर सकती हैं?

मायावती की रणनीति और भविष्य
ऐसे में मायावती के लिए दिल्ली में पार्टी के जनाधार को फिर से मजबूत करना एक बड़ी चुनौती है। पार्टी का उद्देश्य 2008 के वोट शेयर को वापस पाना और दिल्ली के चुनावी परिणामों में निर्णायक भूमिका निभाना है। इसके लिए मायावती का युवाओं को अपने साथ जोड़ने की रणनीति खास महत्व रखती है।

क्या BSP बचा पाएंगी जनाधार?
हालांकि, BSP के लिए दिल्ली चुनाव एक अहम मोड़ पर खड़ा है। मायावती के दोनों भतीजों की सक्रियता से पार्टी में एक नई दिशा दिख सकती है। अब यह देखना होगा कि क्या BSP इस बार अपने सिकुड़ते जनाधार को फिर से मजबूत कर पाती है और क्या 2027 में ईशान आनंद पार्टी के युवा चेहरा बनकर उभरते हैं।

BSP का युवा दांव होगा कितना सफल?
खैर, यह तो समय ही बताएगा कि BSP का यह युवा दांव कितना सफल होता है और पार्टी की स्थिति 2027 के चुनावों में किस दिशा में जाती है। लेकिन एक बात तो साफ है कि मायावती के दोनों भतीजों की राजनीति में एंट्री से दिल्ली के साथ ही यूपी की राजनीति में भी एक नया मोड़ आ सकता है।