Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन होती है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानें पूजन विधि और मंत्र!

चैत्र नवरात्रि वर्ष का वह शुभ समय है जब देवी दुर्गा और भगवान राम के भक्त उपवास करते हैं, और नौ दिनों तक देवताओं से समृद्धि, खुशी का आशीर्वाद पाने के लिए प्रार्थना करते हैं. यह उत्सव का भी समय ह होता है क्योंकि चैत्र नवरात्रि सबसे प्रतीक्षित हिंदू त्योहारों में से एक है.

लखनऊ- चैत्र नवरात्रि वर्ष का वह शुभ समय है जब देवी दुर्गा और भगवान राम के भक्त उपवास करते हैं, और नौ दिनों तक देवताओं से समृद्धि, खुशी का आशीर्वाद पाने के लिए प्रार्थना करते हैं. यह उत्सव का भी समय ह होता है क्योंकि चैत्र नवरात्रि सबसे प्रतीक्षित हिंदू त्योहारों में से एक है.

पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने के बाद, मां दुर्गा के भक्त दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते हैं. मां ब्रह्मचारिणी एक महान सती थीं, और उनका स्वरूप देवी पार्वती द्वारा की गई घोर तपस्या का प्रतीक है. कुष्मांडा बनने के बाद, देवी पार्वती ने दक्ष प्रजापति के घर जन्म लिया.

देवी पार्वती एक महान तपस्वी थीं. उनके अविवाहित रूप को देवी ब्रह्मचारिणी के रूप में पूजा जाता है. वह नंगे पैर चलती हैं, सफेद वस्त्र पहनती हैं, और अपने दाहिने हाथ में जाप माला (रुद्राक्ष की माला) और बाएं हाथ में कमंडल रखती हैं.

मां ब्रह्मचारिणी के हाथ में रुद्राक्ष का अर्थ उनके वन जीवन के दौरान भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए उनकी द्वारा की गई तपस्या का प्रतीक है. एवं कमंडल का प्रतीक है कि उनकी तपस्या के अंतिम वर्षों के दौरान उनके पास केवल पानी था और कुछ नहीं.

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि

  • मां ब्रह्मचारिणी को फूल, अक्षत, रोली, चंदन आदि चढ़ाएं.
  • ब्रह्मचारिणी मां को भोगस्वरूप पंचामृत चढ़ाएं.
  • माता को शक्कर या पंचामृत का भोग लगाएं और ऊं ऐं नम: मंत्र का 108 बार जाप करें.
  • माता को पान, सुपारी, लौंग अर्पित करें.
  • पूजन के अंत में देवी ब्रह्मचारिणी मां के मंत्रों का जाप करें और फिर मां की आरती करें.

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