मैडम बिल्डर, साहब जेई, दोनों के खेल से GDA को लगा डेढ़ करोड़ का चूना

पूरी बिल्डिग में स्टेयरकेस नहीं बनी है. ऐसे में अगर कोई आग लगने जैसे इमरजेंसी घटना घटित होती है तो फायर फाइटर्स का बिल्डिंग के बेसमेंट...

गोरखपुर विकास प्राधिकरण (GDA) के मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है। मोहद्दीपुर स्थित काव्यांजलि हाईट्स से जुड़ा यह मामला चर्चा में है, जहां पूर्व JE अंगद सिंह ने अपनी पत्नी को करोड़ों का लाभ पहुंचाया। अंगद सिंह, जो GDA में तैनात थे, वही उनकी पत्नी उस जगह बिल्डिंग का निर्माण कर रही थीं। 2013 में, GDA की 1.5 करोड़ की फीस जमा नहीं की गई, लेकिन इसके बावजूद उन्हें कंप्लीशन सर्टिफिकेट दे दिया गया। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि अंगद सिंह ने अपनी पत्नी के लिए यह सब किया, जो GDA में गंभीर अनियमितताओं का संकेत देता है।

तीन साल बाद स्टे खत्म

इस मामले में शिकायतकर्ता का आरोप है कि तैनाती के दौरान JE अंगद सिंह ने अपने पद का फायदा उठाते हुए बिल्डिंग का नक्शा पास करने के लिए गोरखपुर विकास प्राधिकरण में जमा होने वाले अनिवार्य डिवीजन फीस व इम्पैक्ट फीस के डेढ़ करोड़ रुपये नहीं जमा कराए, हालांकि जीडीए की ओर से शिकायतकर्ता को दिए गए आरटीआई के जवाब में बताया गया है कि साल 2013 में हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश के आधार पर फीस नहीं जमा कराई गई, लेकिन इसके तीन साल बाद स्टे खत्म होने के बाद भी जीडीए ने इसे जमा कराने के लिए कोई प्रयास नहीं किया.

पैसा जमा नहीं किया गया

शिकायतकर्ता सौरभ जायसवाल ने सूचना के अधिकार अधिनियम (आरटीआई) 2005 के तहत प्राप्त विभित्र सूचनाओं के आधार पर एक बार फिर शिकायत की है. मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव मंडलायुक्त और जीडीए वीसी के यहा की गई शिकायत में सौरभ ने बताया है कि 27 फरवरी, 2013 को जीडीए ने बांके बिहारी डेवलपर्स के डायरेक्टर को डिमांड लेटर जारी कर नक्शा पास करने के लिए फीस जमा करने का निर्देश दिया था. इसमें सव डिवीजन फीस के रूप में 76 लाख 28 हजार 706 रुपये और इम्पैक्ट फीस के रूप में 76 लाख 93 हजार 613 रुपये जमा करने को कहा था, लेकिन यह पैसा जमा नहीं किया गया.

गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने किया केस

सौरभ का कहना है कि उन्होंने आरटीआई के जरिए इसका कारण पूछा तो बताया गया कि हाईकोर्ट से 12 अप्रैल, 2013 को अंतरिम आदेश के जरिए इन शुल्कों को जमा कराने से रोका गया था. शिकायतकर्ता ने आगे बताया कि अपर अभियंता अंगद सिंह की पत्नी के निर्देशन में चल रही फर्म मेसर्स रिवर बिलार्स प्राइवेट लिमिटेड को 14 करोड रुपये जमा करने के लिए गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने हाईकोर्ट में केस भी कर रखा है.

फायर फाइटर्स का बिल्डिंग के बेसमेंट में घुसना मुश्किल

वही बता दें कि शिकायतकर्ता सौरभ जयस्वाल ने इससे पहले जीडीए की शिकायत में डेवलपर्स पर नक्शे से आगे बढ़ते हुए सेटबैंक निर्माण व अग्निशमन के इंतजाम न करने का आरोप लगाया था. उन्होंने अपने लेटर में लिखा था कि पूरी बिल्डिग में स्टेयरकेस नहीं बनी है. ऐसे में अगर कोई आग लगने जैसे इमरजेंसी घटना घटित होती है तो फायर फाइटर्स का बिल्डिंग के बेसमेंट में घुसना भी मुश्किल होगा.

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