
MahaKumbh 2025: भारत की धार्मिक विरासत का प्रतीक और संस्कृति का दर्पण महाकुंभ मेला एक ऐसा अद्भुत आयोजन है, जो आस्था, परंपरा और आध्यात्मिकता का परिचायक है। यह मेला हर 12 साल में प्रयागराज में आयोजित होता है। महाकुंभ मेला न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पक्ष भी उतना ही रोचक और प्रेरणादायक है। महाकुंभ मेला न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी बड़ा असर पड़ता है। इस आयोजन में लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं, और यह आर्थिक गतिविधियों का बड़ा केंद्र बन जाता है। आइए, जानते हैं कि महाकुंभ 2025 से भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा:
कितना राजस्व (Revenue) उत्पन्न होगा?
महाकुंभ में हर साल करोड़ों श्रद्धालु आते हैं। अनुमान के मुताबिक, महाकुंभ 2025 में लगभग 40 करोड़ श्रद्धालु शामिल हो सकते हैं। यदि हर श्रद्धालु औसतन 5,000 से 10,000 रुपये खर्च करता है, तो कुल खर्च 4.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। यह खर्च विभिन्न सेवाओं पर होता है, जैसे:
- आवास (Hotel and Lodging)
- भोजन (Food)
- यात्रा (Travel)
- धार्मिक सामान (Religious Items)
- परिवहन (Transport)
इस प्रकार महाकुंभ भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
GDP पर क्या असर होगा?
महाकुंभ 2025 से भारत की GDP (सकल घरेलू उत्पाद) पर भी असर पड़ेगा। भारतीय अर्थव्यवस्था में महाकुंभ के कारण 1% तक की वृद्धि हो सकती है। इसका मतलब है कि महाकुंभ के आयोजन से देश की कुल अर्थव्यवस्था में कुछ अतिरिक्त बढ़ोतरी होगी। यदि भारत की GDP 2023-24 में 295.36 लाख करोड़ रुपये है, तो 2024-25 में यह 324.11 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ सकती है।
राज्य सरकार को कितना फायदा होगा?
उत्तर प्रदेश सरकार, जो महाकुंभ का आयोजन करती है, को इस आयोजन से काफी राजस्व मिलता है। अनुमान के अनुसार, महाकुंभ 2025 से राज्य सरकार को 1 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त हो सकता है। इसमें जीएसटी (GST), आयकर (Income Tax), और अन्य अप्रत्यक्ष कर (Indirect Taxes) शामिल हैं। महाकुंभ के इस आयोजन से GST संग्रह विशेष रूप से बढ़ सकता है, जो 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।
उत्तर प्रदेश सरकार का निवेश
उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ के आयोजन के लिए 16,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है। यह निवेश प्रमुख रूप से सड़कें, सुविधाएं, स्वास्थ्य सेवाएं, और सुरक्षा पर खर्च किया जाएगा। इस निवेश का न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है, बल्कि इससे स्थानीय व्यापार और संगठित क्षेत्र में भी रोजगार के अवसर मिलेंगे।
स्थानीय और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर असर
महाकुंभ से स्थानीय व्यापार को भी बड़ा फायदा होता है। लाखों श्रद्धालुओं के आने से स्थानीय दुकानदारों, होटल मालिकों, परिवहन सेवाओं, और खाद्य व्यवसायों को बहुत अधिक आय होती है। इतना ही नहीं बल्कि ग्रामीण इलाकों में महाकुंभ के कारण स्थानीय रोजगार में भी वृद्धि होती है, क्योंकि यह आयोजन पर्यटन को बढ़ावा देता है और नए व्यापारिक अवसर भी उत्पन्न करता है।
सांस्कृतिक और सामाजिक प्रभाव
महाकुंभ का आयोजन भारत की सांस्कृतिक विरासत को भी प्रोत्साहित करता है। इससे भारतीय संस्कृति, धार्मिक परंपराओं, और विश्वासों को एक वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने का अवसर मिलता है। यह न केवल आस्थाओं का केंद्र है, बल्कि संस्कृतियों का आदान-प्रदान भी होता है।
कैसा हैं सुरक्षा और इंतजाम
बता दें कि, आज से महाकुंभ महापर्व की शुरुआत हो चुकी है। पहले दिन करीब 1 करोड़ श्रद्धालुओं के डुबकी लगाने की संभावना है। इस बार के महाकुंभ में लगभग 40 से 50 करोड़ श्रद्धालु डुबकी लगाएंगे। इन श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए सरकार ने कड़ी व्यवस्था की है। पानी के अंदर 113 ड्रोन की तैनाती की गई है, और कंट्रोल रूम से 24 घंटे निगरानी रखी जाएगी। सुरक्षा के लिए एटीएस और एनएसजी के कमांडो, सीआरपीएफ, एनडीआरएफ, आईटीबीपी, पीएससी, पुलिस और एसटीएफ के जवानों की तैनाती की गई है। इसके अलावा, 2700 एआई कैमरे लगाए गए हैं और 7 प्रमुख रास्तों पर 102 पुलिस चौकियां बनाई गई हैं। महाकुंभ की सुरक्षा के लिए हाईटेक सीसीटीवी कंट्रोल रूम भी तैयार किया गया है, और सुरक्षा के लिए कुल 7 लेयर बनाई गई हैं।









