
वाराणसी : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ में करोड़ो श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने संगम स्थल पहुंच रहे है। इस बीच समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मकर संक्रांति पर हरिद्वार में आस्था की डुबकी लगा सभी को हैरान कर दिया। महाकुंभ की व्यवस्थाओं को लेकर लगातार सरकार पर हमलावर रहे अखिलेश यादव के द्वारा गंगा में डुबकी लगाने की तस्वीर भी काफी सुर्खियों में रही। वही अखिलेश यादव के द्वारा आस्था की डुबकी लगाए जाने पर अखिल भारतीय संत समिति और हिंदूवादी संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताई है। इसके साथ ही सांसद चंद्रशेखर के द्वारा महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाने वालो पर दिए बयान की भी कड़ी आलोचना किया।


संतो ने बताया अखिलेश यादव के द्वारा आस्था पर राजनीति का आरोप, पुराने बयान को दिलाया याद
हरिद्वारा में अखिलेश यादव के द्वारा आस्था की डुबकी लगाए जाने पर अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेन्द्राननंद सरस्वती ने बयान जारी कर कहा कि अखिलेश यादव ने महाकुंभ के निमंत्रण पर जो बयान दिया और अब खुद गंगा स्नान करने के लिए पहुंचे थे, ऐसे में यह उनके दोहरे चरित्र को दर्शा रहा है। ऐसे राजनेताओं के बयान की गंभीरता अब धीरे धीरे नष्ट हो रही है। मुझे खुशी है, कि कल तक सनातनी धर्म के नेता रोजा इफ्तार पार्टी करते और खुद को सनातनी कहने में शर्माते थे,लेकिन अब खुद को सनातनी कह रहे है और आस्था की डुबकी गंगा में लगा रहे है। अखिलेश यादव के माता – पिता सनातनी थे। यदि अखिलेश यादव में भी गर्व से कहो हम हिंदू है, कि भावना जागृत हुई है तो यह सराहनीय है।


विश्व हिंदू सेना सांसद चंद्रशेखर आजाद के बयान के खिलाफ सनातनियों को एकजुट होने का किया आवाह्न
विश्व हिन्दू सेना और अखिल भारत हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरुण पाठक ने भी नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर अखिलेश को ओछी राजनीति का हिस्सा बताया है। हिन्दूवादी नेता ने लिखा है कि विश्व की सबसे प्राचीन परंपरा और सनातन धर्म के खास आयोजन महाकुंभ को लेकर अखिलेश यादव ने निमंत्रण को अस्वीकार किया था। उन्हें समझना चाहिए कि ऐसे धार्मिक आयोजनों में खूद आगे बढ़कर शामिल होना चाहिए। उसके बाद वे हरिद्वार पहुंच गंगा स्नान कर खुद को सनातनी दिखाने का दावा कर रहे हैं। ये कैसी दोहरी नीति है? अरुण पाठक ने कहा कि नगीना से सांसद चंद्रशेखर ने भी महाकुंभ को लेकर विवादित बयान दिया। बाबा साहेब आंबडेकर ने यह जिम्मेदारी किसको दी है कि सनातन के खिलाफ बोलते है। बल्कि तमाम सनातनियों को एकजुट होकर रावण का विरोध करना चाहिए। किंतु अंबेडकर के मुद्दे पर एक जुट हो गए सारे विपक्षी महाकुंभ के अपमान पर क्यों मौन हैं?