कौन हैं सांसद बृज भूषण शरण सिंह ? जिनका 11 साल से है कुश्ती महासंघ पर कब्जा, खिलाड़ियों ने लगाया है यौन उत्पीड़न का आरोप

बृजभूषण सिंह 2011 से कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष भी हैं। 2019 में वे तीसरी बार कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष चुने गए। महासंघ पर उनके दबदबे की एक बड़ी वजह उनके राजनीतिक रसूख को बताया जा रहा है

विनेश फोगट, साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया जैसे बड़े खिलाड़ियों ने बृज भूषण शरण सिंह पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। पहलवानों के द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद बृजभूषण शरण सिंह का नाम बहुत ही तेजी से वायरल हो रहा है। यह कोई पहली बार नहीं है जब इनका नाम विवादों में आया है। इससे पहले भी इनका नाम कई विवादों में आ चुका है। बृजभूषण शरण सिंह का राजनीतिक रसूक काफी पुराना है। बृजभूषण शरण सिंह अपने आप में एक काफी बड़ी राजनीतिक हस्ती और WFI के अध्यक्ष हैं। बृजभूषण शरण सिंह वर्तमान में उत्तर प्रदेश के कैसरगंज से भाजपा सांसद हैं।

उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के निवासी बीजेपी सांसद और WTF के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह छह बार सांसद रह चुके हैं और उन्होंने गोंडा, कैसरगंज और बलरामपुर निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व किया है। 1991 में पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए बृजभूषण सिंह 1999, 2004, 2009, 2014 और 2019 में लोकसभा के लिए चुने गए थे। उन्होंने इनमें से पांच बार भाजपा के टिकट पर तो एक बार 2009 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर जीत हासिल की है। उनकी पत्नी केतकी देवी सिंह गोंडा जिला पंचायत की अध्यक्ष रह चुकी हैं और पुत्र प्रतीक भूषण सिंह वर्तमान में गोंडा सदर सीट से विधायक हैं।

बृजभूषण सिंह 2011 से कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष भी हैं। 2019 में वे तीसरी बार कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष चुने गए। महासंघ पर उनके दबदबे की एक बड़ी वजह उनके राजनीतिक रसूख को बताया जा रहा है। अपनी कार्यशैली की आलोचना के बावजूद उन्होंने महासंघ पर अपनी पकड़ बनाए रखी है। यहां तक ​​कि उन्होंने एक समारोह के दौरान मंच पर एक पहलवान को कथित तौर पर थप्पड़ भी मारा था।

1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढांचे के विध्वंस के लिए जिम्मेदार ठहराए गए 40 अभियुक्तों में हिंदुत्व की राजनीति के मुखर समर्थक बृज भूषण सिंह का नाम भाजपा के लाल कृष्ण आडवाणी के साथ रखा गया था। बृज भूषण सिंह के खिलाफ 90 के दशक के मध्य में अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के साथियों सुभाष सिंह ठाकुर, जयेंद्र ठाकुर उर्फ ​​भाई ठाकुर, परेश देसाई और श्याम किशोर गरिकापट्टी को कथित रूप से शरण देने के लिए आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियों (टाडा) के तहत भी मामला दर्ज किया गया था। हालांकी बाद में उन्हें इन आरोपों से बरी कर दिया गया था। 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए उनके चुनावी हलफनामे के अनुसार उनके उपर अयोध्या और गोंडा में चार मामले लंबित हैं। उन पर डकैती, हत्या के प्रयास और दंगा सहित अन्य आरोप हैं।

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