नासा की केप्लर टेलीस्कोप ने पहली बार किया आइंस्टीन के इस सिद्धांत का उपयोग, खोजा गया बृहस्पति का जुड़वा ग्रह!

जुपिटर के जुड़वे ग्रह के रूप में पहचाने गए नए तारे का नाम K2-2016-BLG-0005Lb रखा गया है। इस एक्सोप्लैनेट का पता खगोल भौतिकीविदों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने नासा के केपलर स्पेस टेलीस्कोप द्वारा 2016 में प्राप्त डेटा का उपयोग करके लगाया है।

खगोलविदों ने ताजा अध्ययनों से यह पता लगाया है कि सौरमंडल के सबसे बड़े बृहस्पति गैलेक्सी में अकेला नहीं है। इसके सामान ही एक और ग्रह है जो अपने तारे (बृहस्पति) से उतनी ही दूरी पर स्थित है जितना बृहस्पति हमारे सूर्य से है। चमकीले ग्रह के रूप में अपनी सबसे अनूठी पहचान रखने वाले जुपिटर पर तूफानों का प्रभुत्व है। वैज्ञानिक रिपोर्ट्स से पता चला है कि जुपिटर पर तेज हवाओं का सिलसिला है।

जुपिटर के जुड़वे ग्रह के रूप में पहचाने गए नए तारे का नाम K2-2016-BLG-0005Lb रखा गया है। इस एक्सोप्लैनेट का पता खगोल भौतिकीविदों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने नासा के केपलर स्पेस टेलीस्कोप द्वारा 2016 में प्राप्त डेटा का उपयोग करके लगाया है। नासा की केप्लर टेलीस्कोप के जरिए अब तक मिल्की वे आकाशगंगा में लगभग 2700 ग्रहों का पता लगाया है, लेकिन बृहस्पति जैसा हूबहू दिखने वाला यह पहला सबसे दूरस्थ एक्सोप्लैनेट है।

जुपिटर का यह नया समरूप पृथ्वी से 17,000 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। खगोलविदों ने इसे अल्बर्ट आइंस्टीन के सापेक्षता के सिद्धांत और गुरुत्वाकर्षण माइक्रोलेंसिंग के रूप में जानी जाने वाली एक विधि का उपयोग करके जुपिटर जैसी दिखने वाली इस अनूठी दुनिया की खोज की है।

यह मूल रूप से बृहस्पति के समरूप है। इसका द्रव्यमान सूर्य के मास से 60 फीसद अधिक है। वहीं ब्रह्माण्ड में इसकी स्थिति के बारे में बताते हुए टीम ने कहा कि, यह पहली बार है जब केप्लर टेलीस्कोप ने आइंस्टीन माइक्रोलेंसिंग का उपयोग करके एक नए ग्रह की खोज की है।

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