चेहरे पर ना कोई खौफ..गोलियों की तड़तड़ाहट और विदेशी पिस्टलों से खेला जा रहा खूनी खेल   

गैंगस्टर की हत्या में इस्तेमाल किया गया पिस्टल कोई नार्मल पिस्टल नहीं था.और न ही देसी बंदूक,बकायदा विदेशी पिस्टल था.इसी तरीके के विदेशी पिस्टलों की डिमांड काफी ज्यादा होती है.

लखनऊ- चेहरे पर ना कोई खौफ…गोलियों की तड़तड़ाहट…खूनी खेल और लोगों के डरे हुए चेहरे बयां करते है कोर्ट परिसर में हुए कुख्यात गैंगस्टर की हत्या की सनसनीखेज कहानी को…जहां लखनऊ के कोर्ट परिसर में दिनदहाड़े एक नामी गैंगस्टर की हत्या कर दी जाती है.हत्या के बाद से मानों हर तरफ शोर और चिखम चिली शुरु हो जाती है.पिछले कुछ दिनों से पूरे यूपी में बड़े-बड़े कुख्यात माफियाओं की हत्या हो जाना काफी ज्यादा हाईलाइट हो गया है.जब भी इस तरीके से किसी भी कुख्यात गैंगस्टर की हत्या हो जाती है. वैसे ही प्रदेश में दहशत का माहौल अलग ही लेवल पर दिखाई देता है.

और सबसे बड़ी बात ये है कि इन हत्याओं में इस्तेमाल किए गए हथियार उससे भी ज्यादा सुर्खियों में आ जाते है. जैसे की प्रयागराज में हुई अतीक ब्रदर्स की हत्या में भी कुछ तरीके से हथियार का बहुत ज्यादा जिक्र हुआ था.अब एक बार फिर से कुख्यात बदमाश संजीव जीवा की हत्या में इस्तेमाल किए गए पिस्टल की भी चर्चा हो रही है. संजीव की हत्या करने वाले हत्यारे का निशाना बिल्कुल सटीक था.और फायरिंग करते समय पलभर की भी चूक नहीं हुई.बिल्कुल सटीक निशाने के साथ वकील के भेष में आए युवक ने खूब गोलियां बरसाई.

मौके पर मौजूद लोगों के मुताबिक हाथों में पिस्टल लिए संजीव जीवा का पीछा करने वाले युवक ने अंजाम की परवाह किए बगैर कोर्ट में चल रहे कामकाज के बीच में जिस तरीके की घटना को अंजाम दिया…देखने वाले लोगों के चेहरे दंग रह गए.

कुख्यात अपराधियों को मारने में विदेशी पिस्टल का इस्तेमाल…     

खास बात ये कि गैंगस्टर की हत्या में इस्तेमाल किया गया पिस्टल कोई नार्मल पिस्टल नहीं था.और न ही देसी बंदूक,बकायदा विदेशी पिस्टल था.इसी तरीके के विदेशी पिस्टलों की डिमांड काफी ज्यादा होती है.और आसानी से ये पिस्टल मिलते भी नहीं है.

आरोपी ने जिस पिस्टल का इस्तेमाल करके वारदात को अंजाम दिया वो, प्वाइंट 357 बोर की अमेरिकन मैग्नम अल्फा पिस्टल थी.और इसकी कीमत करीब 6 लाख रुपए थी.जानकारी के अनुसार इसके कारतूस मार्केट में डेढ़ से दो हजार रुपए में मिल जाते है.और भारत में प्रतिबंधित भी नहीं है.सवाल ये भी उठता है कि आखिर आरोपी के पास इस तरीके की विदेशी पिस्टल आखिर पहुंची कैसे,और तो और हत्या के बाद आरोपी ने भागने की कुछ खास कोशिश नहीं की.देखने पर लगा रहा था कि वो सरेंडर करने की स्थिति में था.

ठीक ऐसा ही माफिया अतीक और उसके भाई की हत्या में भी कुछ ऐसा ही हुआ था. उसमें भी विदेशी पिस्टल का इस्तेमाल किया गया था. अतीक और अशरफ की हत्या में भी जिगाना मेड पिस्टल का इस्तेमाल किया गया था. जो कि टर्की में बनती है.इस पिस्टल की भी कीमत करीब 6 से 7 लाख के आस-पास थी.खैर इस पिस्टल पर भारत में बैन लगा हुआ है.प्रयागराज में भी दोनों माफियाओं को मारने वाले तीनों युवकों ने हत्या के फौरन बाद ही सरेंडर कर दिया था. उन्होंने ने भी फरार होने के लिए कुछ खास मेहनत नहीं की थी.

अब जिस तरीके से कुख्यात अपराधियों को मारने के लिए विदेशी हथियारों का इस्तेमाल हो रहा है.और कोई भी हत्यारा वारदात को अंजाम देने के बाद रफूचक्कर होने में कोई खास मेहनत भी नहीं करता है.बड़ी अजीब सी ही स्थिति है…गोली चलाओं और आराम से खड़े हो जाओ.  

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