अंधविश्वास के फेर में दीपावली पर दी जाती है उल्लू की बली, वन विभाग ने जारी किया अलर्ट

दीपावली आते ही हर साल उल्लुओं की जान पर खतरा मंडराने लगता है। वजह उल्लुओं की बलि से जुड़ा अंधविश्वास है ऐसे में उल्लुओं का शिकार होने का खतरा बढ़ जाता है।

रिपोर्ट-अमित बेलवाल

उत्तराखंड, रामनगर: दीपावली आते ही हर साल उल्लुओं की जान पर खतरा मंडराने लगता है। वजह उल्लुओं की बलि से जुड़ा अंधविश्वास है ऐसे में उल्लुओं का शिकार होने का खतरा बढ़ जाता है। इसी को लेकर कॉर्बेट प्रशासन ने दीपावली से पहले अलर्ट जारी किया है और फील्ड कर्मचारियों की छुट्टियां भी कैंसिल कर दी हैं। उसके साथ ही कॉर्बेट पार्क की सघन बाउंड्रीज पर वन कर्मियों द्वारा लगातार गस्त की जा रही है।

बता दें कि अंधविश्वास के चलते दीपावली का पर्व आते ही उल्लुओं की जान पर आफत आ जाती है। अंधविश्वास के चलते कुछ लोग दीपावली पर तंत्र साधना और सिद्धि पाने के फेर में उल्लुओं की बलि देते ऐसे में लुप्तप्राय पक्षी के संरक्षण को लेकर चिंता बढ़ गई है। यही कारण है कि कॉर्बेट प्रशासन ने अपने सभी कर्मचारियों और अधिकारियों की छुट्टियां कैंसिल कर दी हैं और जंगलों में उल्लुओं की हिफाजत के लिए गश्त बढ़ा दी गई है। इसके अलावा सभी फील्ड में काम करने वाले कर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं। विशेष परिस्थितियों में जंगलों में गश्त करने वाले वनकर्मियों को छुट्टी दी जाएगी।

भारतीय वन्य जीव अधिनियम 1972 की अनुसूची- एक के तहत विलुप्तप्राय जीवों की श्रेणी में शामिल उल्लू संरक्षित प्राणी है। इसका शिकार या तस्करी करने पर कम से कम 3 वर्ष या उससे अधिक सजा का प्रावधान है। दुनिया में उल्लू की लगभग 225 प्रजातियां हैं। पूरे उत्तराखंड की बात करें तो यहां उल्लू की 19 प्रजातियां चिह्नित की गई हैं। कार्बेट के आसपास ब्राउन फिश, टाउनी फिश, स्पाट बीलाइट ईगल फिश, स्काप आउल, ब्राउन हाक, ब्राउन वुड जैसी प्रजातियां पाई जाती हैं।

वहीं इनकी सुरक्षा को लेकर कॉर्बेट प्रशासन ने अलर्ट जारी कर दिया है बता दें कि कॉर्बेट पार्क की यूपी से लगती संवेदनशील बाउंड्रीज पर बाहर से आने वाले लोगों की भी चेकिंग की जा रही है। साथ ही वनकर्मी लगातार संवेदनशील और अतिसंवेदनशील क्षेत्रों में ड्रोन, पैदल और अन्य साधनों से लगातार गश्त कर रहे हैं।

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