
Mahakumbh: प्रयागराज का महाकुंभ मेला न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया से आने वाले श्रद्धालुओं और साधुओं के लिए एक विशेष धार्मिक अवसर होता है। पौष पूर्णिमा के पवित्र अवसर पर महाकुंभ मेला आज से संगमनगरी प्रयागराज में शुरू हो गया है। शाही स्नान के दौरान श्रद्धालुओं का भारी जमावड़ा देखा जा रहा है। देश-विदेश से आए साधु-संत और श्रद्धालु सुबह से ही संगम में डुबकी लगा रहे हैं।
स्टीव जॉब्स की पत्नी महाकुंभ में लेंगी भाग
महाकुंभ में भाग लेने के लिए एप्पल के दिवंगत सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स भी पहुंची हैं। उन्होंने वाराणसी के बाद 13 जनवरी को प्रयागराज का रुख किया। लॉरेन पॉवेल 29 जनवरी तक महाकुंभ के विभिन्न अनुष्ठानों में भाग लेंगी और इस दौरान स्वामी कैलाशानंद के शिविर में रहेंगी। स्वामी कैलाशानंद निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर हैं।
नया नाम और आस्था का परिचय
वही निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर कैलाशानंद ने लॉरेन को ‘कमला’ नाम दिया और उन्हें अच्युत-गोत्र से जोड़ा। यह नामकरण एक धार्मिक परंपरा के तहत हुआ, जो यह दर्शाता है कि लॉरेन अब सनातन धर्म के साथ अपनी आस्था को जोड़ चुकी हैं। उनके लिए यह एक नया अध्याय है, जिसमें वे हिंदू धर्म की गहरी समझ और आस्था की ओर अग्रसर हो रही हैं।
महाकुंभ के अनुष्ठान और शाही स्नान
लॉरेन पॉवेल जॉब्स ने महाकुंभ के इस अद्वितीय अवसर पर 14 जनवरी और 29 जनवरी को शाही स्नान करने का संकल्प लिया है। यह स्नान विशेष रूप से पवित्र माना जाता है, और इसे धार्मिक पुनर्निर्माण का प्रतीक माना जाता है।
महाकुंभ के इतिहास में एक नया अध्याय
लॉरेन इन दिनों गुरु स्वामी कैलाशानंद के शिविर में रह रही हैं, जहां वे सनातन धर्म के सिद्धांतों और शिक्षाओं को समझने की कोशिश कर रही हैं। उनका यह यात्रा न केवल आध्यात्मिक है, बल्कि यह उन्हें भारतीय संस्कृति और परंपराओं के करीब लाती है। लॉरेन पॉवेल जॉब्स की यह यात्रा और उनका नया नामकरण महाकुंभ के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ता है। यह घटना न केवल एक पश्चिमी व्यक्ति की भारतीय संस्कृति में रुचि को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि धर्म और आस्था का कोई सीमा नहीं होती। महाकुंभ में उनका योगदान और भागीदारी निश्चित रूप से काफी खास और अहम् है।









