Radha Ashtami 2022 :जानें क्यों मनाया जाता हैं राधाष्टमी का त्यौहार, क्या है शुभ मुहूर्त और इसका महत्त्व !

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन बाद राधाष्टमी का पर्व मनाया जाता हैं। रविवार को इसे पूरे भारत वर्ष में राधाकृष्ण के श्रद्धालुओं द्वारा ...

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन बाद राधाष्टमी का पर्व मनाया जाता हैं। रविवार को इसे पूरे भारत वर्ष में राधाकृष्ण के श्रद्धालुओं द्वारा मनाया जा रहा हैं। मथुरा वृन्दवन और बरसाने में इसे लेकर खास हर्षोल्लास का माहौल रहता हैं। मंदिरों में इस त्यौहार को लेकर कई दिनों से खास तैयारियां चल रही हैं।

कहा जाता हैं कि जब एक बार श्री कृष्ण विराजा नाम की एक सखी के साथ घूम रहे थे। जब इसकी जानकारी राधारानी को हुयी तो उन्होंने बहुत क्रोध में आकर श्री कृष्ण को अपमानित करना शुरू कर दिया। ये सब देखने के बाद श्री कृष्ण के मित्र सुदामा को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने राधा रानी को पृथ्वी लोक में फिर जन्म लेने का श्राप दे दिया। जिसके बाद ऐसा कहा जाता हैं कि जन्माष्टमी के 15 दिन बाद राधा ने वृषभानु के घर जन्म लिया था।

जो भी राधा रानी की पूजा को पूरी श्रद्धा के साथ करता हैं। उसका जीवन प्रेम और सुख से भरा रहता हैं। दाम्पत्य जीवन में भी खुशहाली रहती हैं। जीवन भर पत्नी पत्नी का अटूट रिश्ता प्रेम से परिपूर्ण रहता हैं। साथ ही साथ सौभाग्य में भी बृद्धि होती हैं। जो भी इस त्यौहार को मनाता है और पूरी श्रद्धा के साथ राधा रानी की पूजा करता हैं उस पर कृष्ण कन्हैया की कृपा होती हैं।

भगवत गीता में भी राधा रानी की पूजा की अनिवार्यता के बारे में लिखा हुआ हैं। जो राधा रानी की पूजा नहीं करता जो भक्त श्री कृष्ण की पूजा का भी अधिकार नहीं रखता हैं। राधारानी को भगवान कृष्ण के प्राणो की अधिष्ठात्री देवी माना गया हैं। आज के दिन रअधस्तमी की कथा पड़ने या सुनने मात्र से कई कष्ट मिट जाते हैं। साथ ही अखंड सौभाग्‍य की प्राप्ति होती है।

शुभ मुहूर्त

3 सितम्बर 2022, शनिवार के दिन दोपहर 12:28 बजे से ही अष्टमी तिथि प्रारम्भ हो चुकी हैं। आज दोपहर 01:22 बजे से 02:53 बजे तक अमृत काल है, वहीं 04:30 बजे से 06 बजे तक राहुकाल रहेगा। राहुकाल को छोड़कर किसी भी समय राधारानी का पूजन किया जा सकता हैं।

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