राहुल गाँधी की भारत जोड़ो का कश्मीर में हुआ समापन, क्या यात्रा का 2024 के लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा कोई असर ?

डेस्क : कन्याकुमारी से शुरू हुई भारत जोड़ों यात्रा का समापन आज श्रीनगर में हुआ.राहुल गांधी की इस यात्रा का असर आगामी लोकसभा चुनाव 2024 पर कितना पड़ेगा और इस यात्रा से कांग्रेस को कितना फायदा होगा ये देखने वाली बात होगी.

राहुल गांधी और कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का आज समापन हो गया.राहुल गांधी के साथ कांग्रेस के अन्य नेताओं और यात्रियों ने कन्याकुमारी से श्रीनगर तक करीब 4,000 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय की. इस दौरान यात्रा 12 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों से भी गुजरी.अब सवाल ये है कि यात्रा से राहुल गांधी और कांग्रेस को क्या और कितना लाभ होगा?.

कांग्रेस पार्टी के अनुसार, राहुल गांधी की इस यात्रा का घोषित उद्देश्य ”भारत को एकजुट करना और साथ मिलकर देश को मज़बूत करना है.” भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने बार-बार कहा कि वो देश में नफ़रत के ख़िलाफ़ मोहब्बत की दुकान खोलना चाहते हैं.यात्रा के दौरान जगह-जगह भाषण देते हुए और मीडिया से बात करते हुए राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा और बेरोज़गारी, महंगाई, भारत के सीमा क्षेत्र में चीन के दख़ल का मुद्दा उठाया.साोमवार को श्रीनगर में राहुल गांधी की यात्रा समाप्त हो गई. इस यात्रा से पहले कई सवाल थे.राहुल गांधी हासिल क्या करना चाहते हैं, क्या वो विपक्ष को एकजुट कर पाएंगे, क्या वो कांग्रेस को पुनर्जीवित कर पाएंगे? ऐसे कई सवाल जो लोगों के मन में है.

राहुल गांधी ने इस यात्रा के ज़रिए उन सभी सवालों को ख़ारिज कर दिया है जो उन पर उठते रहे थे. पहले कहा जाता था कि राहुल गांधी अध्यक्ष पद नहीं छोड़ेंगे, उन्होंने अध्यक्ष पद छोड़ा, फिर कहा गया कि वो ख़ुद अध्यक्ष बन जाएंगे, लेकिन वो नहीं बने, इसके बाद कहा गया कि अध्यक्ष के चुनाव को टाल दिया जाएगा, लेकिन वो भी नहीं टाला गया. ऐसा कुछ नहीं हुआ और राहुल गांधी ने जो काम करना तय किया था, वो उसमें लगे रहे और उसे पूरा किया.

कांग्रेस की ओर से हमेशा ही कहा जाता रहा है कि भारत जोड़ो यात्रा का उद्देश्य सियासी नहीं है. यह बस देश के लोगों को जोड़ने के लिए निकाली गई एक यात्रा भर है. हालांकि, राजनीतिक पंडितों की इस पर अपनी अलग राय थी.इन लोगों का मानना था कि राहुल गांधी की अगुवाई में निकाली जा रही भारत जोड़ो यात्रा के जरिये कांग्रेस अपना सियासी हित साध रही है. साथ ही लोकसभा चुनाव 2024 से पहले अपनी राजनीतिक जमीन को मजबूत करने की कोशिश कर रही है.

भारत जोड़ो के नारे में राहुल गांधी कितने कामयाब हुए, ये बाद में पता चलेगा. लेकिन इस दौरान राहुल गांधी जिस तरह लगातार प्रधानमंत्री को घेरते रहे उससे उन्हें फ़ायदा हुआ है. सबसे पहले तो वो कांग्रेस के निर्विवादित नेता बन गए हैं. कांग्रेस में विद्रोहियों का जो कथित जी-20 समूह था वो भी शांत हो गया है और सभी ने राहुल गांधी के नेतृत्व को स्वीकार कर लिया है.

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