वेतन 50 हजार और व्हाट्सअप के जरिये चल रही थी आशा ज्योति केन्द्र की मैनेजरी

बेसहारा महिलाओं के संरक्षण के लिए संचालित केन्द्र सरकार की आशा ज्योति केन्द्र योजना को मेरठ में पलीता लग गया है. मेरठ के आशा ज्योति केन्द्र की मैनेजर आरती त्यागी बीते एक साल से घर में बैठकर पगार डकार रही है और केन्द्र सरकार का यह सेंटर व्हाट्सअप के जरिये संचालित किया जा रहा है. केन्द्र के सभी कर्मचारी त्यागी के शोषण का शिकार है. आज उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग के छापे में केन्द्र की खामियां उजागर हुई. 

आज दोपहर करीब ढाई बजे महिला आयोग की उपाध्यक्ष सुषमा सिंह ने बेहद गोपनीय अंदाज में मेडीकल कालेज स्थित आशा ज्योति केन्द्र में छापा मारा. सुषमा सिंह जब केन्द्र के गेट पर पहुंची तो वहां अंदर से ताला पड़ा हुआ था. उन्होने वहां मौजूद पुलिसवालों को इसके लिए फटकार लगाई. आशा ज्योति केन्द्र में महिलाओं की मदद के लिए एक वूमन पुलिस चौकी भी संचालित है.

अंदर पहुंचने पर जब केन्द्र की मैनेजर आरती त्यागी को तलब किया गया तो पता चला कि कई दिन बाद वह शुक्रवार शाम को आफिस आयी थी और अपनी हाजिरी लगाकर चली गयी. जब कर्मचारियों से पूछा गया कि ऐसा कब से चल रहा है तो एक-एक करके कर्मचारियों ने केन्द्र में चल रही आरती त्यागी की दादागीरी की कहानी बयां की.

महिला आयोग उपाध्यक्ष के सामने पहुंची एक नर्स ने बताया कि 15 दिन पहले जब उसने यहां ज्वाइन किया, तब से लेकर आज तक उसने आरती त्यागी के दर्शन तक नही किये है. स्वास्थ्यकर्मियों और केन्द्र की अन्य कर्मचारियों ने भी इसी तरह की व्यथा सुषमा सिंह के सामने बतायी.

वेतन 50 हजार और नौकरी व्हाट्सअप पर-

महिला कर्मचारियों ने बताया कि आरती त्यागी फोन पर और व्हाट्सअप के जरिये ही केन्द्र का संचालन कर रही है और आफिस नही आती है. कई कर्मियों ने बीते कई महीनों के व्हाट्सअप चैट भी सुषमा सिंह को दिखाये. अगर किसी कर्मी को मामूली काम के लिए भी आधे घंटे के लिए बाहर जाना पड़े तो उसके खिलाफ कार्रवाई कर दी जाती है. आरती त्यागी की अनुपस्थिति में चतुर्थ श्रेणी महिला कर्मचारी के हाथों में पूरे केन्द्र की बागडोर होती है.

डिस्पेन्सरी में बुखार की दवा तक नही-

सुषमा सिंह ने डिस्पेन्सरी का निरीक्षण किया तो वहां दवायें नदारद मिली. आयोग कि उपाध्यक्ष ने बताया कि डिस्पेन्सरी में पैरासीटामोल की टेबलेट तक नही है. सवाल करने पर कर्मीयों ने बताया कि मैडम को सब जानकारी है लेकिन वह दवायें मुहैया नही कराती.

सुषमा सिंह ने पीड़ित महिलाओं से भी बात की और वहां की व्यवस्था का जायजा लिया. उन्होने बताया कि नीचे के फ्लोर के टॉयलेट में ऊपरी फ्लोर के टॉयलेट से गंदा पानी गिर रहा है. टॉयलेट बेहद गंदा है और वहां सफाई के लिए ब्रश या टायलेट क्लीनर तक नही है. टॉयलेट में अंधेरा भी है, एक लाइट तक की व्यवस्था नही कराई गयी है.

सुषमा सिंह ने बताया कि कई महीनों से आरती त्यागी के खिलाफ गोपनीय सूचनाऐं मिल रही थी लेकिन चुनाव आचार संहिता के चलते वह कार्रवाई नही कर सकी. बड़ी खामियां मिली है और पूरी रिपोर्ट मेरठ के जिलाधिकारी को सौंपी जा रही है. केन्द्र मैनेजर और जिला प्रोबेशन अधिकारी की लापरवाही स्पष्ट रूप से परिलक्षित होती है. सीसीटीवी कैमरे का रिकॉर्ड साक्ष्य है कि सरकारी वेतन बिना काम के डकारा जा रहा है.

आरती और डीपीओ का गठजोड़ व्यवस्था पर हावी-

सुषमा सिंह ने जिला प्रोबेशन अधिकारी पर भी बड़ी लापरवाही के आरोप लगाये है. उन्होने कहा कि इतनी बड़ी खामियों के बाबजूद डीपीओ का चुप रहना साबित करता है कि दोनो के बीच सांठगांठ है. प्रोबेशन कार्यालय के कर्मचारी हाकिम सिंह के बारे में भी उपाध्यक्ष को गोपनीय जानकारियां और साक्ष्य मुहैया कराये गये है. सुषमा सिंह ने डीएम मेरठ को फोन पर केन्द्र की पूरी अव्यवस्थाओं से अवगत कराया है. 

कम्प्यूटर आपरेटर को लेकर करवाचौथ पर लगवाती रही मेंहदी-

आशा ज्योति केन्द्र मैनेजर के आफिस में तैनात कम्प्यूटर आपरेटर भी आरती त्यागी के शोषण का शिकार है. वह पल्लवपुरम में रहता है लेकिन उसकी जिम्मेवारी आरती त्यागी को गंगानगर से लेकर अपनी बाइक पर लेकर पूरे मेरठ में शापिंग कराने की है. उससे निजी कार्य कराये जाते है. इसके अलावा उसे शासनादेश के विपरीत महज आधा वेतन ही दिया जा रहा है. कम्प्यूटर आपरेटर मोहित ने बताया कि बीते करवाचौथ में रात नौ बजे तक मैडम नारी निकेतन की लड़कियों से मेंहदी लगवाती रही. वह बार-बार कहता रहा कि उसे अपनी पत्नी को शापिंग के लिए लेकर जाना है लेकिन मैडम नही मानी. उसे मैडम को गंगानगर उनके घर तक छो़ड़ना था.

सफाईकर्मी को आरती त्यागी ने बनाया “हरिराम”-

फिल्म शोले में जेलर का खबरी हरीराम नाई था लेकिन आशा ज्योति केन्द्र में आरती त्यागी एकमात्र विश्वसनीय खबरी एक महिला सफाईकर्मी है. छापे के दौरान जब तक महिला सफाईकर्मी को सुषमा सिंह अपने सामने बुला पाती, तब तक वह कई बार फोन पर आरती त्यागी को केन्द्र में हो रही गतिविधियों की जानकारी दे चुकी थी. जब उपाध्यक्ष ने उसका फोन चैक किया तो डाइलिंग लिस्ट में कई बार आरती त्यागी से बात होने के प्रमाण मिले. कई कर्मचारियों ने पुष्टि की कि मैडम की खबरी यही महिला है. पुलिसकर्मियों से लेकर स्टाफ की हर कर्मचारी की खबर वह आरती त्यागी तक पहुंचाती है. महिला सफाईकर्मी के हाथ में आईफोन था.

कलैक्टर से लेकर कमिश्नर तक की नजरों के कैसे बची आरती-

हैरत इस बात को लेकर है कि मेरठ में कलैक्टर से लेकर कमिश्नर तक बैठते है. एसएसपी से लेकर ए़डीजी तक का यहां आवास और कार्यालय है. ऐसा भी नही कि आशा ज्योति केन्द्र शहर के बाहरी इलाके या जंगल में हो. लेकिन मेडीकल कालेज में स्थित इस केन्द्र पर बीते एक-दो साल से किसी अफसर की नजर तक नही गयी. राज्य सरकार की प्राथमिकता में शुमार महिलाओं से जुड़ी योजना के इस केन्द्र को लेकर अफसर इतने लापरवाह क्यों है. क्या डीपीओ के कागजी रसूख इतने मजबूत है कि बीते एक साल में दो कलैक्टर आये, किसी ने एक नजर इस केन्द्र को नही देखा. या फिर डीपीओ के आफिस में आरती त्यागी का मजबूत नेटवर्क और विभाग में लखनऊ तक उसकी मजबूत पकड़ सबका मुंह बंद किये रही. सवाल बीजेपी संगठन को लेकर भी है. तीन सांसद और दर्जनों विधायक और मंत्री लेकिन किसी ने कभी इस केन्द्र की ओर देखा तक नही. आखिर क्यों?

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