
माइक्रोसॉफ्ट के CEO सत्य नडेला ने सोमवार को बताया कि भारत के छोटे किसान माइक्रोसॉफ्ट के AI टूल्स का उपयोग कर मौसम की भविष्यवाणी, कीट नियंत्रण और बेहतर पैदावार प्राप्त कर रहे हैं। नडेला ने X (पहले ट्विटर) पर साझा किए गए एक वीडियो में महाराष्ट्र के बारामती स्थित एग्रीकल्चरल डेवलपमेंट ट्रस्ट (ADT) के किसानों का उदाहरण दिया, जिन्होंने इस तकनीक को अपनाकर शानदार नतीजे प्राप्त किए हैं।
नडेला ने कहा कि किसानों ने रसायनों के उपयोग में कमी, जल प्रबंधन में सुधार और पैदावार में वृद्धि जैसे शानदार परिणाम साझा किए हैं। ये AI टूल्स उपग्रह, ड्रोन और मिट्टी के डेटा के साथ मिलकर किसानों को उनकी स्थानीय भाषा में सर्वोत्तम कृषि पद्धतियों की जानकारी देते हैं।
AI से कैसे मिल रही है मदद?
बारामती के एक किसान सुरेश जगताप, जो 65 वर्ष के हैं, ने बताया कि वह अपने गन्ने की फसल को अनुकूलित करने के लिए AI का उपयोग कर रहे हैं। उनका लक्ष्य है कि जब गन्ने में सुक्रोज़ की मात्रा अधिकतम हो, तब कटाई की जाए। फसल नवंबर 2025 में काटी जाएगी, लेकिन जगताप पहले ही सकारात्मक बदलाव देख रहे हैं। उन्होंने बताया, “पौधों की बढ़त अच्छी है, पत्तियां ज्यादा हरी हैं और ऊंचाई अधिक समान है।”
कैसे काम करता है AI?
माइक्रोसॉफ्ट की AI तकनीक से किसानों को वैज्ञानिकों की मदद मिल रही है। जगताप के एक एकड़ के खेत में एक ऊँचा धातु का ढांचा लगाया गया है, जो एक मौसम केंद्र के रूप में कार्य करता है। इसमें हवा, वर्षा, सौर ऊर्जा, तापमान और नमी मापने वाले उपकरण लगे हैं, जबकि मिट्टी में नमी, pH स्तर, विद्युत चालकता और पोटेशियम-नाइट्रोजन जैसे पोषक तत्वों की निगरानी के लिए सेंसर लगाए गए हैं।
माइक्रोसॉफ्ट के अनुसार, इस डेटा को उपग्रह और ड्रोन इमेजरी के साथ मिलाकर विश्लेषण किया जाता है। इसके बाद मोबाइल ऐप के माध्यम से किसानों को सरल निर्देश मिलते हैं, जैसे: “पानी दें,” “उर्वरक छिड़कें,” “कीटों की जांच करें।” सैटेलाइट मैप भी दिखाता है कि कौन-से क्षेत्र में कौन-सी कार्रवाई की जरूरत है।
2024 में लॉन्च हुआ AI प्रोजेक्ट
ADT बारामती ने जनवरी 2024 में किसान मेले में अपने AI प्रोजेक्ट की शुरुआत की, जिसमें गन्ना, टमाटर और भिंडी जैसी फसलों को AI की सहायता से उगाया गया। इस परियोजना को “फार्म ऑफ द फ्यूचर” नाम दिया गया। गन्ने के परीक्षण क्षेत्र में परिणाम बेहद उत्साहजनक रहे। Microsoft की रिपोर्ट के अनुसार, गन्ने की लंबाई और मोटाई 30-40% अधिक रही, जिससे सुक्रोज़ की मात्रा में 20% की वृद्धि हुई। इसके अलावा, पानी और उर्वरकों की आवश्यकता कम हुई और पूरी फसल चक्र की अवधि 18 महीने से घटकर 12 महीने हो गई। इस परियोजना में 20,000 किसानों ने पंजीकरण कराया, जिनमें से 1,000 को पहले चरण के लिए चुना गया। AI-सक्षम खेती के इस नए युग में, किसानों को सटीक डेटा के साथ वैज्ञानिक सहायता मिल रही है, जिससे उनकी उपज में बड़ा सुधार हो रहा है।