SBI की स्पेशल रिपोर्ट…वित्त वर्ष 2014 से आय असमानता 74.2% गिरी, प्रत्यक्ष कर संग्रह हिस्सेदारी 14 वर्षों में सबसे अधिक

उनके विश्लेषण से पता चलता है कि 5 लाख रुपये तक कमाने वालों के लिए आय असमानता कवरेज में संचयी 74.2% की गिरावट आई है.

दिल्ली- भारतीय स्टेट बैंक की एक रिपोर्ट आई है,उस रिपोर्ट में कई तरीके की बातें आय से जुड़े मामलो को लेकर बताई गई है. बता दें कि भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की एक रिपोर्ट में शुक्रवार को कहा गया कि वित्तीय वर्ष 2013-14 और 2022-23 के बीच सालाना 5 लाख रुपये तक कमाने वालों के लिए आय असमानता कवरेज में संचयी 74.2 प्रतिशत की गिरावट आई है.

एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की प्रगतिशील कर व्यवस्था ने आकलन वर्ष (एवाई) 2024 में प्रत्यक्ष कर योगदान को कुल कर राजस्व का 56.7 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है, जो 14 वर्षों में सबसे अधिक है. FY2021 के बाद से, व्यक्तिगत आयकर संग्रह ने कॉर्पोरेट आयकर को पीछे छोड़ दिया है, जो CIT के 3 प्रतिशत की तुलना में 6% बढ़ रहा है.

बता दें कि भारत में अक्सर बदतर होती असमानता के मिथक” को स्पष्ट करने के लिए, एसबीआई के आर्थिक विभाग की शोध रिपोर्ट ने मूल्यांकन वर्ष 2014-15 और AY24/FY23 के आय असमानता वक्रों का विश्लेषण किया है.
इसमें कहा गया है कि निर्धारण वर्ष 2015 और निर्धारण वर्ष 24 के दौरान आय में असमानता की तुलना से पता चलता है कि आय वितरण वक्र में स्पष्ट रूप से दाईं ओर बदलाव हो रहा है, जो दर्शाता है कि कम आय वर्ग के लोग आबादी में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए अपनी आय बढ़ा रहे हैं.

एसबीआई की ओर से बताया गया कि उनके विश्लेषण से पता चलता है कि 5 लाख रुपये तक कमाने वालों के लिए आय असमानता कवरेज में संचयी 74.2% की गिरावट आई है.इससे पता चलता है कि सरकार के निरंतर प्रयास पिरामिड के निचले स्तर तक पहुंच रहे हैं .जिससे ‘निम्न आय वर्ग’ के लोगों की आय में वृद्धि हो रही है, ‘कैसे कर सरलीकरण ने आईटीआर फाइलिंग को एक आवश्यक प्रोत्साहन दिया है.

3.5 लाख रुपये तक की आय वाले लोगों के लिए, आय असमानता में हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2014 में 31.8 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2011 में 12.8 प्रतिशत हो गई है, इससे ये दर्शाता है कि इस बकेट समूह की हिस्सेदारी में उनकी आबादी की तुलना में 19 प्रतिशत की तेज वृद्धि हुई है.इसमें कहा गया है कि निम्न आय वर्ग (5.5 लाख रुपये से कम) ने पिछले दशक में सभी वर्षों में सकारात्मक वृद्धि दर दर्ज की है. बस कोविड महामारी वाले साल को इस लिस्ट से हटा दिया गया है.

साथ ही ये भी रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात और कर्नाटक जैसे राज्य, जो आयकर आधार में पारंपरिक नेता रहे हैं, आईटीआर दाखिल करने में संतृप्ति के करीब हैं और समग्र कर फ़ाइल आधार में उनकी हिस्सेदारी लगातार घट रही है.

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