देश भर में चल रही बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुनाया हैं. जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा है कि घर होना एक ऐसी लालसा है जो कभी ख़त्म नहीं होती…हर परिवार का सपना होता है कि उसके पास एक घर हो…वही कोर्ट ने कहा कि आरोपी कोई एक व्यक्ति होता है, लेकिन घर पूरे परिवार का गिरा दिया जाता है, जो गलत है. किसी एक की गलती से सबको मकान से वंचित नहीं किया जा सकता.. हालांकि अवैध निर्माण पर भी कार्रवाई से पहले समय देना अनिवार्य है. बता दें कि कोर्ट ने यह फैसला अनुच्छेद 142 के तहत दिया है. यह अनुच्छेद सर्वोच्च न्यायालय को संपूर्ण न्याय के लिए पूरे भारत में प्रवर्तनीय आदेश पारित करने की अनुमति देता है.
142 के तहत सुप्रीम कोर्ट ने दिए निर्देश है—
- लोगों को कार्यवाही से पहले समय देना चाहिये
- नोटिस देना चाहिये
- बिना पक्ष सुने कार्यवाही नहीं होनी चाहिये
- अवैध निर्माण हटाने का मौका दिया जाए
- नोटिस रजिस्टर्ड डाक से भेजा जाए और घर के बाहर नोटिस चसपा किया जाए
- नोटिस की जानकारी डीएम को देना ज़रूरी है
- नोटिस मे बताया जाए क्या अवैध है और किन दस्तावेज़ों की ज़रूरत है
- 3 महीने में एक पोर्टल बनाकर सारी जानकारी उसमें दी जाए
- लोगों का पक्षसुना जाए, और कार्यवाही के कारण दिया जाना चाहिए
- नोटिस के 15 दिन के अंदर कोई कार्यवाही न हो
- डेमोलिशन की कार्यवाही की वीडियोग्राफी हो
- वहां मौजूद पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों के नाम दर्ज किये जाएं
- अगर ये पाया जाता है गलत तरीके से कार्यवाही हुई तो ज़िम्मेदार अधिरारियों के खिलाफ कार्यवाही होगी
- सभी राज्यों के चीफ सेकेर्टी को ये आदेश भेजा जाए ताकि सभी की जानकारी में हो
- कार्यवाही से पहले अवैध निर्माण हटाने का मौका पहले खुद आरोपी को दिया जाऐ
- नोटिस में बताया जाए क्या अवैध है, कौन से दस्तावेज़ देखने हैं..