सरकारी नौकरियों में SC/ST को प्रमोशन में आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण की शर्तों को कम करने से इनकार किया। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा बिना आंकड़े के नौकरियों में प्रोमोशन में रिजर्वेशन नहीं दिया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 24 फरवरी को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि प्रोमोशन में रिजर्वेशन देने से पहले राज्य सरकारों को आंकड़ों के जरिये ये साबित करना होगा कि SC/ ST का प्रतिनिधित्व कम है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा समीक्षा अवधि केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित की जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में नागराज बनाम भारत सरकार के अपने फैसले में प्रोमोशन में रिजर्वेशन के लिए निर्धारित शर्तों में बदलाव से इंकार कर दिया है।
सरकारी नौकरियों में SC/ST को प्रमोशन में आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 26 अक्टूबर 2021 को फैसला सुरक्षित रखा था। फैसला सुरक्षित रखते हुए कोर्ट ने कहा था कि अदालत सिर्फ इस मुद्दे पर फैसला करेगा कि आरक्षण अनुपात पर्याप्त प्रतिनिधित्व के आधार पर होना चाहिए या नही। केंद्र सरकार ने सुनवाई के दौरान कहा था कि यह भी एक सच्चाई है कि आजादी के 75 सालों बाद भी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों को अगड़ी जातियों के समान योग्यता के स्तर पर नहीं लाया जा सका है।
केंद्र ने कहा था कि एससी और एसटी समुदाय से आने वाले लोगों के लिए समूह ए श्रेणी की नौकरियों में उच्च पद प्राप्त करना ज़्यादा मुश्किल है। केंद्र ने कहा था कि अब समय आ गया है जब सर्वोच्च अदालत रिक्तियों को भरने के लिए एससी, एसटी और अन्य पिछड़ा वर्ग से आने वाले लोगों के लिए कुछ ठोस आधार दे।