इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस शेखर कुमार यादव अपने विवादित भाषण को लेकर फंसते नजर आ रहे हैं। खबर है कि अब उनके इस विवादित बयान के ख़बरों पर सुप्रीम कोर्ट ने खुद संज्ञान लिया है। मंगलवार यानी 10 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस शेखर के कथित विवादित भाषण वाले मामले पर संज्ञान लेते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट से जानकारी मांगी। हालांकि, यह मामला अभी भी विचाराधीन है।
दरअसल, बीते रविवार विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की लीगल सेल के तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज शेखर कुमार यादव ने एक समुदाय को लेकर विवादित टिप्पणी की था। जिसको लेकर जब विवाद गहराया तो न्यायिक जवाबदेही और सुधार अभियान (सीजेएआर) प्रशांत भूषण ने भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को एक पत्र लिख कर उनके खिलाफ आंतरिक जांच की मांग की थी।
सीजेएआर ने पत्र में लगाए ये आरोप
CJAR प्रशांत भूषण ने अपने पत्र में लिखा कि, “वीएचपी कार्यक्रम में भाग लेना और न्यायमूर्ति यादव का बयान न्यायिक अनुचितता का मामला है। साथ ही संविधान को निष्पक्ष रूप से बनाए रखने की शपथ का भी उल्लंघन है। उनके बयान से न्यायपालिका की तटस्थ मध्यस्थ रूप में जो भूमिका है वो कमजोर हो रही हैं। ऐसे में न्यायपालिका की स्वतंत्रता में जनता के विश्वास को खत्म कर सकती है।
ये है पूरा मामला
गौरतलब हो, एक कार्यक्रम में न्यायमूर्ति यादव ने कथित तौर पर विशेष समुदाय को निशाना बनाते हुए बहुसंख्यक समुदाय के पक्ष में बयान दिया था। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि, हिंदुस्तान बहुसंख्यकों की इच्छा के अनुसार चलेगा। यहां का कानून बहुसंख्यकों के हितों के अनुरूप है। इस दौरान जज ने मुस्लिम समुदाय की प्रथा जिसमें बहुविवाह, हलाला और ट्रिपल तलाक की तुलना हिंदू परंपरा से की थी। जिसको लेकर अब विवाद बढ़ता नजर आ रहा है।