मूसलाधार बारिश में बहे शिशु गजराज का वनकर्मियों नें रेस्क्यू कर बचाया, राजाजी को सौंपा

देर शाम सारे प्रयास विफल हो जाने के बाद इस शिशु गजराज को राजाजी को सौंप दिया गया. चीला स्थित हाथी कैम्प में इसके आने से खुशी का माहौल है. यहां पहले से ही राधा, रंगीली, रानी, सुल्तान, जॉनी व राजा का पालन पोषण किया जा रहा है. अब नसीब से बचे इस शिशु गजराज के आने से यह संख्या बढ़ गयी है.

Desk: “जाको राखे साईंया, मार सके न कोई” ये कहावत चरितार्थ होते हुए आज देखी गई. हमारे आस पास कभी कभी ऐसी घटनाएं घटती है जिन पर विश्वास करना मुश्किल होता है. ऐसा ही एक मंजर दो दिन पूर्व रवासन नदी से सटे जंगलों में देखनें में आया है. यहां पर तेज मूसलाधार बारिश में जंगली गजराजों का एक झुंड रवासन नदी के तेज बहाव में फंस गया. पानी का की धार इतनी तेज थी कि झुंड में शामिल डेढ़ माह का शिशु गजराज इसमें बह गया.

बहते बहते यह काफी दूर हरिद्वार वन प्रभाग की रसियाबड़ रेज तक पंहुच गया. वनकर्मियों ने कड़ी मेहनत के बाद इसे रेस्क्यू तो कर लिया, मगर इसे वापस इसके झुंड से न मिला सके. हरिद्वार वन प्रभाग की कई टीमों ने फुट सर्च व ड्रोन से झुंड को तलाशने के काफी प्रयास किए लेकिन नाकामी ही हाथ लगी.

वहीं कल देर शाम सारे प्रयास विफल हो जाने के बाद इस शिशु गजराज को राजाजी को सौंप दिया गया. चीला स्थित हाथी कैम्प में इसके आने से खुशी का माहौल है. यहां पहले से ही राधा, रंगीली, रानी, सुल्तान, जॉनी व राजा का पालन पोषण किया जा रहा है. अब नसीब से बचे इस शिशु गजराज के आने से यह संख्या बढ़ गयी है. वहीं अब इसका नामकरण भी कर दिया गया है. रेंज अधिकारी चीला के अनुसार अपने नसीब से ही ये इस आपदा मे बच पाया है इसी लिए इसका नाम नसीब रखा गया है. उम्मीद है कि भविष्य में नसीब भी अन्य गजराजों की तरह राजाजी टाइगर रिजर्व में पर्यटको के आकर्षण का केंद्र बनेगा.

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