ज्ञानवापी मामले की जिला कोर्ट में सुनवाई पूरी, जिला जज ने दोनों पक्षों को सुना, जानें किसने क्या रखी दलील?

सख्त गोपनीय माहौल में अदालत की कार्यवाही करीब 40 मिनट तक चली. जहां हिंदू पक्ष ने 1991 के पूजा स्थल अधिनियम (Places Of Worship Act) को रद्द करने की मांग की, वहीं मुस्लिम वकीलों ने इस मामले को ही रद्द करने के पक्ष में तर्क दिया.

ज्ञानवापी मस्जिद मामले में दोनों पक्षों की तमाम दलीलें सुनने के बाद वाराणसी के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने सुनवाई स्थगित करते हुए कहा कि अब मामले की सुनवाई की अगली तारीख मंगलवार को तय होगी. सख्त गोपनीय माहौल में अदालत की कार्यवाही करीब 40 मिनट तक चली. जहां हिंदू पक्ष ने 1991 के पूजा स्थल अधिनियम (Places Of Worship Act) को रद्द करने की मांग की, वहीं मुस्लिम वकीलों ने इस मामले को ही रद्द करने के पक्ष में तर्क दिया.

बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि शीर्ष अदालत मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि ज्ञानवापी मामले की सुनवाई नियमित रूप से वाराणसी जिला न्यायालय में होगी. कोर्ट ने इस फैसले के पीछे यह तर्क दिया कि जिला जजों के पास ज्यादा अनुभव हो और वो इस मामले को बेहद सुगमता से सुलझाने में कारगर साबित हो सकते हैं.

वहीं सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष की दलीलें सुनने के बाद, शीर्ष अदालत ने कहा था कि यह एक “जटिल सामाजिक समस्या” है और मानव द्वारा समाधान सही नहीं हो सकता. “हमारा आदेश काफी हद तक शांति बनाए रखने के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए लागू हो सकेगा. हम देश में एकीकरण की भावना को बनाए रखने के लिए एक सांझा मिशन पर हैं.

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