पौराणिक काल से आधुनिक युग तक भव्य रहा है इटावा का इतिहास, कई महान साहित्यकारों और चिंतकों की रही जन्मस्थली…

इटावा के शानदार और प्रेरणाप्रद इतिहास रहा है। पौराणिक काल से लेकर आज तक इस साहित्यिक रूप से उर्वर इस भूमि ने कई महान साहित्यकारों और चिंतकों को जन्म दिया है। उन्होंने कहा कि "देव से लेकर गोपालदास नीरज तक ने इटावा से साहित्य में अनिवार्य उपस्थिति दर्ज कराई है।"

वैदिक काल में इष्टिकापुरी के नाम से जानी जाने वाली ऋषियों-मुनियों की तपोस्थली रही इटावा की धरती का एक अलग ही ऐतिहासिक महत्व रहा है। वर्तमान में समय के साथ विकास के सांचे में ढलता इटावा अब पर्यटन और विभिन्न क्षेत्रों में विकास की अपार संभावनाओं के नए कीर्तिमान गढ़ रहा है। बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार के सौजन्य से राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय, इटावा में उच्च शिक्षा विभाग द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

इस सांस्कृतिक सम्मलेन के उद्घाटन सत्र में कई गणमान्य मौजूद रहे। उद्घाटन सत्र के अवसर पर केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा से कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंची प्रो उमापति दीक्षित ने कहा कि सांस्कृतिक और साहित्यिक दृष्टि से इटावा अपार संभावनाओं की भूमि है। इटावा के शानदार और प्रेरणाप्रद इतिहास रहा है। पौराणिक काल से लेकर आज तक इस साहित्यिक रूप से उर्वर इस भूमि ने कई महान साहित्यकारों और चिंतकों को जन्म दिया है। उन्होंने कहा कि “देव से लेकर गोपालदास नीरज तक ने इटावा से साहित्य में अनिवार्य उपस्थिति दर्ज कराई है।”

वहीं इस अवसर पर जिलाधिकारी श्रुति सिंह ने राष्ट्रीय संगोष्ठी के आयोजन मंडल को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि इस आयोजन का विषय बहुत रुचिकर है। इस संगोष्ठी के जरिए इटावा की साहित्यिक पहचान को तो बल मिलेगा ही साथ ही सांस्कृतिक पहचान को उभारने में भी बेहद आसानी होगी। उन्होंने अपने वक्तव्य में आगे कहा कि इस सांस्कृतिक संगोष्ठी के शोधपत्र इटावा को समझने की कुंजी बनेंगे।

राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन समारोह में प्राचार्य डॉ श्यामपाल सिंह ने अतिथियों का स्वागत करते हुए सांस्कृतिक संगोष्ठी के विषय के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि यह आयोजन प्रधानमंत्री के लोकल से ग्लोबल की यात्रा का एक महत्त्वपूर्ण पड़ाव बनेगी। इसलिए यह संगोष्ठी इटावा की स्थानीयता को वैश्विक पहचान दिलाने का एक प्रयास है।

संगोष्ठी के पहले दिन कर्मक्षेत्र महाविद्यालय, इटावा के प्राचार्य डॉ महेंद्र सिंह, चौधरी चरण सिंह महाविद्यालय, हेंवरा के डॉ शैलेंद्र शर्मा और जनता कालेज, बकेवर के प्राचार्य डॉ राजेश किशोर त्रिपाठी, राजकीय महाविद्यालय, कुरावली, मैनपुरी के प्राचार्य डॉ संतोष कुमार, विभिन्न महाविद्यालय से डॉ उदयवीर सिंह, डॉ योगेश बाबू दीक्षित, डॉ जगजीवन राम, डॉ पद्मा त्रिपाठी, डॉ अनुपम, डॉ सुभाष, डॉ आनंद मोहन चौधरी, डॉ आदित्य कुमार, सुदामा लाल पाल उपस्थित रहें।

इनके अलावा महाविद्यालय की डॉ चंद्रप्रभा, डॉ अजय दुबे, डॉ दुर्गेशलता, डॉ रेखा, डॉ श्यामदेव यादव, डॉ सपना वर्मा, डॉ डौली रानी, डॉ श्वेता और सभी कार्यालय सहायकों की सक्रिय उपस्थिति रही।

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