नौसेना ने किया इस युद्धपोत का परिक्षण, अब भारतीय समुद्री क्षेत्र और अधिक सशक्त

अत्याधुनिक रक्षा तकनीकों से लैस इस युद्धपोत में ब्रह्मोस जैसे सुपरसोनिक मिसाइल के अलावा बराक और अन्य सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें लगाई जा सकती हैं। यह यद्धपोत अपने डेस्क से ही मिसाइल दागकर मिसाइल को हवा में ही मात्र चंद सेकंडों में नेस्तनाबूत कर सकता है। भारतीय समुद्री सीमाओं में चीन (China) के किसी भी दुस्साहस को इस युद्धपोत के जरिये रोका जा सकेगा।

भारतीय नौसेना (Indian Navy) के युद्धपोतों के खेमे में एक और नया नाम जुड़ गया है। गुरुवार को मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने भारतीय नौसेना को पहला गाइडेड मिसाइल विध्वंसक (Destroyer) पोत ‘P15B’ सौंप दिया है। यह गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर युद्धपोत पूर्णतः स्वदेशी तकनिकी से विकसित किया गया है और इसे आईएनएस विशाखापट्टनम (INS Visakhapatnam) नाम मिला है। इस युद्धपोत का निर्माण भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय द्वारा संचालित स्वदेशी युद्धपोत निर्माण कार्यक्रम के तहत किया गया है। भारतीय समुद्री सीमाओं की सुरक्षा पर भविष्य के आगामी सुरक्षा संकटों की संभावना के मद्देनजर कई रक्षा विशेषज्ञ इस युद्धपोत को भारतीय नौसेना के लिए मील का पत्थर बता रहे हैं।

भारतीय समुद्री सीमाओं में चीन (China) के किसी भी दुस्साहस को इस युद्धपोत के जरिये रोका जा सकेगा। केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने रविवार को ‘P15B’ जिसे आईएनएस विशाखापट्टनम नाम दिया गया है, के समुद्री परीक्षण की समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने स्वदेशी विमानवाहक पोत (IAC) के भारतीय नौसेना में अगस्त 2022 तक शामिल होने की बात कही।

अत्याधुनिक रक्षा तकनीकों से लैस इस युद्धपोत में ब्रह्मोस जैसे सुपरसोनिक मिसाइल के अलावा बराक और अन्य सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें लगाई जा सकती हैं। यह यद्धपोत अपने डेस्क से ही मिसाइल दागकर मिसाइल को हवा में ही मात्र चंद सेकंडों में नेस्तनाबूत कर सकता है।

आईएनएस विशाखापट्टनम के निर्माण का कॉन्‍ट्रैक्‍ट जनवरी 2011 में ही कर दिया गया था लेकिन यह 3 साल की देरी के बाद नौसेना को परिक्षण के लिए डिलीवर किया गया। बता दें कि कोच्चि शिपयार्ड लिमिटेड और नौसेना की साझेदारी में इस तरह के कुल चार युद्धपोतों का निर्माण किया गया है जिसमें करीब 35,000 करोड़ रुपये खर्च हुए है।

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