रिपोर्ट – अवैस उस्मानी
देशभर में सामुदायिक रसोई बनाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा अगर केंद्र सरकार योजना नहीं बनाती है तो कोर्ट आदेश पारित करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आखरी मौका देते हुए सामुदायिक रसोई को लेकर कॉमन स्कीम बनाने के लिए राज्य सरकारों से बैठक करके तीन हफ्ते में प्लान पेश करने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को निर्देश दिया कि वह केंद्र सरकार द्वारा बुलाई जाए बैठक में शामिल हो सहयोग करें।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में केंद्र सरकार के अंडर सकेरेट्री के माध्यम से हल्फ़नामा दाखिल करने पर नाराजगी जताई। सुप्रीम कोर्ट में मामले में सम्बंधित अधिकारी से हलफनामा दाखिल करने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा हम सरकार को आखरी मौका दे रहे है अब मामले की सुनवाई नहीं टाली जाएगी, आप राज्यों से बैठक करिए और प्लान के बारे में बताइये। सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताते हुए कहा कि लोग भूख के कारण मर रहे है, हम भूख को लेकर चिंतित हैं। मुख्य न्यायधीश ने कहा कि यह कुपोषण का मामला नहीं है, यह भूख के लिए है, लोग भूख के कारण मर रहे हैं, इन दोनों मुद्दों को आपस में मिलाएं नहीं।
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— भारत समाचार (@bstvlive) November 16, 2021
➡देश में सामुदायिक रसोई बनाने की मांग मामला
➡सुप्रीम कोर्ट में मामले की हुई सुनवाई
➡केंद्र योजना नहीं बनाती तो आदेश पारित करेंगे- कोर्ट
➡कॉमन स्कीम बनाने के लिए राज्य सरकारें बैठक करें-कोर्ट
➡कोर्ट ने 3 हफ्ते में प्लान पेश करने को कहा।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हम केंद्र सरकार से यूनिफार्म पॉलिसी चाहते है आप राज्य सरकार से बात करिए, कॉमन कम्युनिटी किचन पर राज्य सरकार की सुझाव को ले, राज्य सरकार से पूछे कि कैसे इस स्कीम को लागू किया जा सकता है, इस स्कीम को लागू करने में कितना समय लगेगा। सुप्रीम कोर्ट ने सख्त लहजे में पूछा कि हम जानने चाहते है क्या केंद्र सरकार कॉमन कम्युनिटी किचेन को लेकर कॉमन स्कीम लागू करने को लेकर गंभीर है या नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वित्तीय स्तिथि में लेकर राज्य से बात कर सकत्व है कि कितना फण्ड राज्य देगा कितना केंद्र सरकार देगी, कितना खाद्यान्न केन्द्र देना, एक साझा योजना विकसित करनी होगी। अटर्नी जनरल ने कहा कि 4 हफ्तों के अंदर हम एक योजना बना सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर आप भूखों का ख्याल रखना चाहते हैं, लोगों को मरने से बचाना चाहते है तो कोई राज्य नहीं नहीं कह सकता सभी कल्याणकारी राज्य की जिम्मेदारी इस पर विचार करना है।