आजादी के अमृत महोत्सव पर ताजमहल नहीं होगा तिरंगे की रोशनी में रोशन जाने क्या है पूरा मामला…

देश में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हर घर तिरंगा अभियान के तहत चारों तरफ तिरंगे ही तिरंगे दिख रहे हैं। लोग अपने घरों दुकानों में तिरंगे की धूम मचा रखें हैं।  जिधर भी देखों हर तरफ तिरंगा ही तिरंगा शान से लहराता नजर आ रहा है।

देश में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हर घर तिरंगा अभियान के तहत चारों तरफ तिरंगे ही तिरंगे दिख रहे हैं। लोग अपने घरों दुकानों में तिरंगे की धूम मचा रखें हैं।  जिधर भी देखों हर तरफ तिरंगा ही तिरंगा शान से लहराता नजर आ रहा है।  तिरंगे पर नजर भी क्यों न आए, आजादी के अमृत महोत्सव’ के हिस्से के रूप में केंद्र सरकार ने घोषणा जो की है कि वह देश के ऐतिहासिक स्मारकों को तिरंगे की रोशनी से रोशन करेगा। लेकिन इन इमारतों में ताजमहल को शामिल नहीं किया गया है।

केंद्र सरकार की घोषणा के अनुसार भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित देश की 3,600 से अधिक ऐतिहासिक स्मारकों को तिरंगे की रोशनी से रोशन करने का निर्णय लिया गया है। लेकिन ताजमहल देश की एकमात्र ऐसी ऐतिहासिक स्मारक होगी जिसे आजादी के अमृत महोत्सव’ के हिस्से के रूप में स्वतंत्रता दिवस समारोह में तिरंगे की रोशनी में रोशन नहीं किया जाएगा।

ताजमहल को तिरंगे के रंग में रोशन न करने के पीछे सुप्रीम कोर्ट का एक निर्णय है। जो ताजमहल के संरक्षण के मद्देनजर आता है। ताजमहल को पिछले बार 20 मार्च, 1997 को एक प्रसिद्ध पियानोवादक को शो के दौरान रात को रोशन किया गया था। जिसके बाद सुबह अधिकारियों को ताजमहस के चारों ओर कृत्रिम रोशनी से आकर्षित मृत कीड़े पाए गए थे।
मृत कीडों और उनके मल मूत्र की वजह से संगमरमर की सतह पर वर्णक जमा हो गया था। जिसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की रासायनिक शाखा ने कहा था कि इससे स्मारक के संगमरमर की संरचना में असंतुलन पैदा हो गया है।

2015 की पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, आगरा सर्कल (एएसआई) के अधीक्षण पुरातत्वविद् भुवन विक्रम को यह कहते हुए उद्धृत किया गया था कि "2000 के दशक के मध्य में विभागीय अध्ययन किए गए थे और इनमें रोशनी के प्रभाव का पता लगाया गया था। जब तक इस विषय पर कोई निर्णायक अध्ययन न हो, ताजमहल को निश्चित रूप से रोशन नहीं किया जाना चाहिए। उसके बाद से ताजमहल में रोशनी पर लगी रोक नहीं हटाई गई है।

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