स्वास्थ्य सचिव का दावा, “फार्मास्यूटिकल क्षेत्र में वैश्विक नेता रूप में उभरा भारत”, दुनिया में 50 फीसदी वैक्सीन खुराकें भारत से निर्मित

सलिला श्रीवास्तव ने कहा कि भारत यू.एस. सी.डी.सी. के सहयोग से आयोजित एनसीडीसी और आईसीएमआर फील्ड एपिडेमोलॉजी ट्रेनिंग प्रोग्राम्स (FITP) की सराहना की।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी मंच द्वारा आयोजित वार्षिक भारत नेतृत्व शिखर सम्मेलन 2024 के संबोधन में भारतीय फार्मास्यूटिकल क्षेत्र के बारे में बड़ी बातें कही है। उन्होंने कहा कि भारत फार्मास्यूटिकल्स क्षेत्र में वैश्विक नेता के रूप में उभरा है, जोकि जेनेरिक दवाओं का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक और प्रमुख आपूर्तिकर्ता है। ऐसे में फार्मास्यूटिकल क्षेत्र की सफलता के परिणामस्वरूप दुनिया भर में स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों के लिए पर्याप्त बचत हुई है, जिसमें अमेरिकी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में उल्लेखनीय योगदान भी शामिल है।

विश्व में 50 फीसदी टीके भारत में निर्मित

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव सलिला श्रीवास्तव ने शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय कंपनियों की दवाओं ने 2022 में अमेरिकी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को 219 बिलियन अमेरिकी डॉलर और 2013 से 2022 के बीच कुल 1.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की बचत की है। वहीं विश्व में निर्मित सभी टीकों में से 50 फीसदी भारत से हैं। जबकि पिछले एक साल में दुनिया भर में निर्मित और वितरित 8 बिलियन वैक्सीन खुराकों में से 4 बिलियन खुराकें भारत में निर्मित की गईं।

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने कही यह बात

श्रीवास्तव ने कहा कि भारत यू.एस. सी.डी.सी. के सहयोग से आयोजित एनसीडीसी और आईसीएमआर फील्ड एपिडेमोलॉजी ट्रेनिंग प्रोग्राम्स (FITP) की सराहना की, जिसने अब तक 200 से अधिक एपिडेमिक इंटेलिजेंस सर्विसेस ऑफिसर्स को प्रशिक्षित किया है और वर्तमान में 50 अन्य विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगस्त में शुरू किए गए US-भारत कैंसर मूनशॉट संवाद का मकसद यूएस-इंडिया बॉयोमेडिकल रिसर्च सहयोग को बढ़ाना है, जोकि खास तौर से सर्वाइकल कैंसर फोकस है।

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