शक्ति का आनंद ले रही है यूपी पुलिस,संवेदनशील बनाने की जरूरत: सुप्रीम कोर्ट

दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत ने उत्तर प्रदेश पुलिस के एक मामले में कार्रवाई पर सख्त टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि यूपी पुलिस “शक्ति का आनंद ले रही है” और इसे “संवेदनशील बनाए जाने की जरूरत” है। जस्टिस ने चेतावनी दी कि अगर याचिकाकर्ता को गलत तरीके से परेशान किया गया, तो अदालत सख्त आदेश पारित करेगी।

मामला एक याचिकाकर्ता अनुराग दुबे का है, जिनके खिलाफ कई एफआईआर दर्ज की गई हैं। दुबे को डर था कि अगर वह जांच में सहयोग करने के लिए उपस्थित हुए, तो उनके खिलाफ एक और झूठा मामला दर्ज किया जा सकता है।

जस्टिस सूर्यकांत और उज्जल भुइयां की पीठ ने आदेश दिया कि याचिकाकर्ता को मोबाइल फोन पर भेजे गए नोटिस का पालन करना होगा, लेकिन पुलिस उन्हें गिरफ्तार नहीं कर सकेगी, जब तक कि अदालत से अनुमति न ली जाए।

इससे पहले, कोर्ट ने एफआईआर को रद्द करने की मांग को खारिज कर दिया था, लेकिन अन्य मामलों और आरोपों की गंभीरता को देखते हुए यूपी सरकार से जवाब मांगा कि क्यों न उन्हें अग्रिम जमानत दी जाए। कोर्ट ने मौजूदा एफआईआर में गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए याचिकाकर्ता को जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया।

राज्य की ओर से वरिष्ठ वकील राणा मुखर्जी ने बताया कि याचिकाकर्ता को नोटिस भेजा गया था, लेकिन वह उपस्थित नहीं हुए और सिर्फ हलफनामा भेज दिया। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने टिप्पणी की कि याचिकाकर्ता को शायद इस बात का डर है कि पुलिस उनके खिलाफ नया झूठा मामला दर्ज कर सकती है।

“अगर उन्होंने (पुलिस ने) दुबे को छुआ, तो हम इतना सख्त आदेश पारित करेंगे कि उन्हें जिंदगी भर याद रहेगा। हर बार आप उनके खिलाफ नया मामला दर्ज कर देते हैं। कितने मामलों का आप समर्थन कर पाएंगे? यह जमीन विवाद है या आपराधिक मामला? आपकी पुलिस बहुत खतरनाक क्षेत्र में प्रवेश कर रही है और इसका आनंद ले रही है।”

अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील अभिषेक चौधरी से पूछा कि दुबे उपस्थित क्यों नहीं हुए। वकील ने बताया कि उनके पास इस बारे में निर्देश नहीं हैं, लेकिन दुबे ने पुलिस को अपना मोबाइल नंबर दिया है ताकि उन्हें सूचित किया जा सके।

इस पर कोर्ट ने सुझाव दिया कि अब डिजिटल युग है और नोटिस मोबाइल पर भेजा जाए। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि पुलिस दुबे को गिरफ्तार नहीं करेगी, और अगर पुलिस को सच में गिरफ्तारी की जरूरत महसूस होती है, तो वह अदालत से अनुमति ले।

जस्टिस सूर्यकांत ने चेतावनी दी, “अगर पुलिस अधिकारियों ने गिरफ्तारी की तो हम उन्हें निलंबित करेंगे और इससे भी बड़ी कार्रवाई करेंगे।”

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस को संवेदनशील बनने की नसीहत देते हुए न्यायपूर्ण और निष्पक्ष जांच पर जोर दिया

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