लखनऊ : उत्त्तर प्रदेश में कोरोना काल के दौरान जान गवाने वाले लगभग 125 पुलिसकर्मियों के परिजनों को साल भर बाद भी मुआवजा नहीं मिल सका है। बताया जा रहा है इसमें शासन का सख्त नियम आड़े आ रहा है। शासन ने बड़ी संख्या में ऐसे पुलिसकर्मियों को मुआवजे देने के लिए पात्र ही नहीं माना गया है, जिसके कारण लगभग 125 पुलिस कर्मियों के परिजनों अभी तक मुआवजा नहीं मिल सका है।
कोरोना काल के दौरान जब पूरी दुनिया थम गयी थी, रेल, बस हवाई जहाज सब थम गया था तब वही देश के जवानों ने कानून-व्यवस्था से लेकर लॉकडाउन तक पालन कराने के लिए जान जोखिम में डालकर काम किया था। इस दौरान संख्या में पुलिसकर्मी भी कोरोना के चपेट में आये थे। कोरोना के चपेट में आने से कुछ पुलिसकर्मियों की मौत हुयी तो सरकार ने घोषणा की कोरोना काल में ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले पुलिसकर्मियों के परिजनों को 50 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा।
बता दें कोरोना की पहली लहर में लगभग 90 पुलिसकर्मियों की जान गई गयी थी। मुआवजे की घोषणा तो हुयी लेकिन नियम इतने शख्त बना दिए कि अभी तक 125 पुलिस कर्मी के परिजन मुआवजा के लिए दर दर भटक रहे है। मसलन जिस पुलिसकर्मी की मौत हुई उसकी रवानगी जीडी में दर्ज है या नहीं? जीडी में अगर ड्यूटी के लिए रवानगी दर्ज नहीं है तो संबंधित पुलिसकर्मी के परिजनों को मुआवजा हासिल करने में दिक्कत आ रही है।
सूत्रों का कहना है कि मुआवजे के 50 से अधिक आवेदन निरस्त हो चुके हैं। सूत्र के मुताबिक शासन स्तर से 50 से अधिक आवेदन निरस्त हुए है जिनमे से कई मामले शासन स्तर पर अब भी लंबित है। जिलाधिकारी स्तर पर भी डेढ़ दर्जन से अधिक मामले लंबित है। कोरोना काल में करीब 180 पुलिसकर्मियों ने गंवाई थी अपनी जान। शासन ने 50 लाख का मुआवजा देने का किया था ऐलान।