यूपी : वाराणसी पहुंचेगी मां अन्नपूर्णा की ऐतिहासिक धरोहर, जानें कहां- कहां से निकलेगी शोभायात्रा…

उत्तर प्रदेश सरकार को मां अन्नपूर्णा देवी की मूर्ति सौंपी गई। केंद्र सरकार ने मूर्ति को उत्तर प्रदेश सरकार को सौंपा है। इस मूर्ति को वाराणसी में फिर से स्थापित किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने सुरेश राणा को यह मूर्ति सौंपी। इस दौरान केंद्रीय मंत्री हरदीप पूरी,धर्मेन्द्र प्रधान, अर्जुन मेघवाल, डॉक्टर महेंद्र पांडे, वीके सिंह,स्मृति ईरानी, SP सिंह बघेल, अनुप्रिया सिंह, बलदेव ओलख, भूपेंद्र चौधरी मौजूद रहे।

आपको बता दें करीब 100 साल पहले वाराणसी से चोरी होकर यह मूर्ति कनाडा पहुंच गई थी। कनाडा में यह मूर्ति मैकेंजी आर्ट गैलरी में रेजिना विश्वविद्यालय के संग्रह का हिस्सा थी। जिसे अब भारत वापस लाया गया है। मां अन्नपूर्णा की मूर्ति को सड़क मार्ग से वाराणसी ले जाया जाएगा। दिल्ली से वाराणसी तक मूर्ति की शोभा यात्रा निकलेगी।

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मा.प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व और प्रयासो से भारत की कई ऐतिहासिक धरोहरो को वापस लाया जा रहा है। कनाडा से 100 वर्षो के पश्चात माता अन्नपूर्णा की मूर्ति लाने और काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर मे पुनःस्थापना का मार्ग प्रशस्त करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी जी का धन्यवाद Dr. Mahendra Singh (@bjpdrmahendra) 11 Nov 2021

माता अन्नपूर्णा की मूर्ति के शोभायात्रा का प्रोग्राम, 11 नवंबर को दिल्ली, गाज़ियाबाद, गौतमबुद्धनगर, बुलंदशहर , अलीगढ़ और हाथरस से गुजरेगी मूर्ति। 12 नवंबर को एटा, मैनपुरी , कन्नौज, कानपुर नगर। 13 नवंबर को उन्नाव, लखनऊ, बाराबंकी, आयोध्या 14 नवंबर को सुल्तानपुर,प्रतापगढ़, जौनपुर, काशी से होकर गुजरेगी शोभायात्रा।

बता दें सीएम योगी आदित्यनाथ 15 नवंबर को मूर्ति को विश्वनाथ मंदिर में स्थापित करेंगे। दिल्ली में विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा कि करीब 100 साल पहले वाराणसी से चोरी हुई मां अन्नपूर्णा की एक मूर्ति हाल ही में कनाडा से बरामद हुई थी। मूर्ति 15 नवंबर को काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित की जाएगी। भारत सरकार आज यूपी सरकार को मां अन्नपूर्णा की मूर्ति सौंपेगी।

आपको बता दें, मां अन्नपूर्णा की यह मूर्ती 18वीं शताब्दी की है। इस प्रतिमा में मां अन्नपूर्णा के एक हाथ में खीर की कटोरी और दूसरे हाथ में चम्मच है। जानकारी के अनुसार, 18वीं शताब्दी की ये प्रतिमा 1913 में काशी के एक घाट से चुरा ली गई थी, और फिर इसे कनाडा ले जाया गया। जिसे मोदी सरकार के प्रयासों से यह मूर्ति कनाडा ने भारत को वापस सौंप दी थी।

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