परिवार पर आयो बात तो डिंपल के लिए ढाल बने शिवपाल, बेहद दिलचस्प होगा मैनपुरी उपचुनाव

भारतीय जनता पार्टी ने मैनपुरी से शिवपाल यादव के बेहद करीबी रहे पूर्व सांसद रघुराज शाक्य को मैदान में उतरा है। रघुराज शाक्य की समाजवादी पार्टी में दिग्गज नेताओं में गिनती होती थी। लेकिन जब शिवपाल ने सपा का साथ छोड़ा तो रघुराज शाक्य भी उन्ही के साथ पार्टी से अलग हो गए। डिंपल को चुनौती देने के लिए भाजपा ने रघुराज शाक्य को मैदान में उतारा है। बुधवार को यानि आज रघुराज शाक्य ने अपना नामांकन दाखिल किया। इस दौरान भाजपा के तमाम नेता मौजूद रहे।

हालांकि सपा मुखिया के लिए राहत की खबर है। रूठे चाचा शिवपाल व प्रसपा अध्यक्ष ने बहू डिंपल यादव का समर्थन करने का फ़ैसला किया है। शिवपाल यादव ने बुधवार को यानि आज सैफई पहुंचकर प्रसपा कार्यकर्ताओं के साथ के बैठक की। कार्यकर्ताओं के साथ मंथन कर शिवपाल यादव ने डिंपल के लिए प्रचार करने को कहा है। अब डिंपल के लिए मैनपुरी के उपचुनाव में यादव परिवार एकजुट होकर चुनाव लड़ेगा।

नामांकन दाखिल करने से पहले रघुराज शाक्य भी मुलायम सिंह की समाधि स्थल पहुंचे और समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित करके आशीर्वाद लिया। इसके बाद रघुराज फिर शिवपाल का भी आशीर्वाद लेने पहुंचे। उधर लोकसभा प्रत्याशी रघुराज ने मिडिया को बयान देते हुए कहा कि मुलायम और शिवपाल दोनों ही उनके राजनीतिक गुरु हैं। वहीं उन्होंने सपा पर हमला बोलते हुए कहा कि पार्टी का कहना है कि शिवपाल साथ हैं पर डिंपल के नामांकन में शिवपाल नहीं पहुंचे थे।

मैनपुरी का जातिगत समीकरण

डिंपल कितना कमाल कर पाएंगी ये आने वाले वक्त में ही पता लग पाएगा। डिंपल यादव इससे पहले कन्नौज से दो बार सांसद रह चुकी है। इस उनके उपर जिम्मेदारी बड़ी दी गई है। मैनपुरी लोकसभा सीट के जातिगत समीकरण की बात करें तो मैनपुरी में सबसे ज्यादा यादव वोटर्स हैं। सपा के इस गढ़ में यादव वोटरों की संख्या करीब 4.25 लाख है।

यादव वोटर्स के बाद शाक्य वोटर्स का इस सीट पर दबदबा है। इस सीट पर शाक्य वोटर्स की संख्या करीब 3.25 लाख है। इसी जातिगत समिकरण को ध्यान में रखते हुए बीजेपी नें शाक्य जाति के उम्मीदवार पर भरोसा जताया है।

इस लोकसभा सीट पर ब्राह्मण वोटर्स की संख्या करीब 1.10 लाख है। इसके अलावा दलित वोटर्स की संख्या 1.20 लाख और लोधी वोटर्स की संख्या एक लाख के आसपास है।इन सबके बाद मैनपुरी सीट पर मुस्लिम वोटर्स का नंबर आता है। यहां मुस्लिम वोटर्स की संख्या करीब 55 हजार है।

1996 से रहा है सपा का दबदबा

मैनपुरी लोकसभा सीट पर 1996 से अभी समाजवादी पार्टी को कोई हरा नही पाया है। ऐसे में डिंपल के लिए ये एक बड़ी चुनौती है। वही बीजेपी ने जो जातिय समीकरण खेला है उससे यही पता लगता है कि भाजपा किसी भी मामले में पीछे नही रहेगी। यही कारण है कि यादव के बाद सबसे ज्यादे शाक्य है और बीजेपी ने शाक्य जाति के कैंडिडेट पर भरोसा जताया है। आपको बता दें कि पांच बार खुद मुलायम सिंह यहां से सांसद चुने गए थे, इसके अलावा मुलायम परिवार के ही तेज प्रताप सिंह यादव, धर्मेंद्र यादव एक-एक बार यहां से जीत चुके हैं। दो बार सपा के टिकट पर ही बलराम सिंह यादव ने यहां से चुनाव जीता था।

डिंपल के पक्ष में कौन सी बातें?

सपा ने काफी सोच समझकर डिंपल यादव को मैदान में उतारा है। माना जा रहा है कि नेताजी मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद से डिंपल को चुनाव में सहानुभूति मिल सकती है। वही कल सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पीसी के दौरान कहा कि ये चुनाव में सपा की जीत मुलायम सिंह यादव को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। इससे साफ होता है की समजवादी पार्टी ये उपचुनाव सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के नाम पर ही लड़ेगी देखने वाली बात होगी कि ये उप चुनाव क्या नया अध्याय लिखता है।

Related Articles

Back to top button