
भारतीय राज्य केरल के एक जिले वायनाड से सांसद राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक के कोलार में एक रैली को संबोधित करते हुए कथित टिप्पणी की। उन्होंने उपस्थित लोगों से पूछा कि क्यों सभी चोर एक ही अंतिम नाम साझा करते हैं। राहुल गांधी ने टिप्पणी की “सभी चोरों, चाहे वह नीरव मोदी हों, ललित मोदी हों या नरेंद्र मोदी हों, उनके नाम में मोदी क्यों हैं।”
बाद में गुजरात के भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने यह तर्क देते हुए एक आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने अपने बयानों से पूरे मोदी समुदाय को बदनाम किया। पूर्णेश मोदी ने कहा, “मोदी उपनाम वाले लोगों की एक बड़ी संख्या है। क्या इसका मतलब यह है कि मोदी समुदाय के सभी सदस्य चोर हैं? उन्होंने समुदाय को बदनाम किया है और मुझे भी, क्योंकि मेरा उपनाम है।” उन्होंने कहा, “इसीलिए हमने आईपीसी की धारा 499 और 500 के तहत सूरत की एक अदालत में (गांधी के खिलाफ) शिकायत दर्ज कराई।”
भारतीय राजनेता राहुल गांधी को गुजरात के सूरत शहर की एक अदालत ने कथित ‘मोदी उपनाम’ टिप्पणी के लिए उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मानहानि के मामले में दोषी ठहराया है। अदालत ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 499 और 500 के तहत 15,000 रुपये (183 डॉलर) का जुर्माना लगाते हुए दो साल की जेल की सजा सुनाई।
अदालती सुनवाई शुरू होने के बाद राहुल गांधी ने दोषी नहीं होने का अनुरोध किया और स्थायी छूट के लिए एक आवेदन दायर किया। गांधी के वकीलों की अपील के बाद उनकी सजा को निलंबित कर दिया गया और 30 दिनों के भीतर सजा के खिलाफ अपील दायर करने के लिए जमानत दे दी गई। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एचएच वर्मा ने पिछले सप्ताह अंतिम दलीलें सुनीं और आज गुरुवार 23 मार्च को अपना फैसला सुनाया। सजा सुनाए जाने के समय राहुल गांधी अदालत में मौजूद थे।
राहुल गांधी को अपील के लिए 30 दिन का वक्त मिला है। ऐसे में हाईकोर्ट में अपील पर अगर सजा में रोक लगेगी तो सदस्यता पर आंच नहीं आएगी। इसके लिए राहुल को सजा पर रोक लगाने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए। राहुल गांधी को IPC की धारा 504 के तहत दोषी करार दिया गया है। इस धारा के तहत अधिकतम संभावित सजा दो साल होती है।
उपायुक्त और जिला चुनाव अधिकारी, कोलार जिले के कार्यालय द्वारा विधिवत अधिसूचित वीडियो निगरानी टीम और वीडियो देखने वाली टीम द्वारा टिप्पणियों की वीडियोग्राफी की गई थी। गुजरात उच्च न्यायालय ने इस साल फरवरी में आपराधिक मानहानि मामले में मुकदमे पर रोक हटा दी थी। अदालत ने जब फैसला सुनाया तब गांधी राहुल गांधी अदालत में मौजूद रहे। इससे पहले भी वह तीन बार कोर्ट के सामने पेश हुए थे। गांधी ने कहा है कि जब उन्होंने प्रश्नगत बयान दिया तो उनकी ओर से कोई दुर्भावना नहीं थी।