मेरठ शहर में 400 से ज्यादा सनातनी हिंदुओं को ईसाई बना दिया गया है। धर्मान्तरण का यह खेल कोरोना लॉकडाउन के दौरान झुग्गी में रहने वाले गरीबों की मदद से शुरू हुआ और अब हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों के अपमान तक पहुंच गया है। धर्मान्तरण की साजिश करने वाले झंडेबरदारों को छोड़कर पुलिस ने 9 लोगो के खिलाफ केस दर्ज किया है। 3 साल तक चले इस कुचक्र के दौरान पुलिस और उसकी खुफिया चैन की नींद सोती रही।
मेरठ के दिल्ली रोड पर मंगतपुरम में कचरे के पहाड़ के इर्द-गिर्द सैकड़ों गरीब झुग्गियों में रहते है। कचरे में कबाड़ बिनकर पेट पालने वाले इन गरीबों के सामने कोरोना लॉकडाउन में भोजन की समस्या खड़ी हुई तो दिल्ली की एक मिशनरी ने यहां धर्मान्तरण का कुचक्र रच दिया। डेढ़ सौ से ज्यादा परिवारों वाली इस झुग्गी बस्ती में ईसाई मिशनरी के महेश पाश्चर और उसकी विदेशी पत्नी ने राशन और भोजन बांटा। ईसाई धर्म को मानने वाले स्थानीय लोग भी उनके साथ थे, लेकिन जैसे-जैसे मदद बढ़ती गयी। धर्म बदलने का शिकंजा गरीबों के गले पर कसता गया।
लॉक डाउन के दौरान ही पढ़ाई के नाम पर दो सौ वर्ग मीटर जमीन कब्जाकर ईसाई मिशनरी ने पाठशाला के बहाने एक अस्थाई चर्च तैयार कर दिया। इस चर्च में बच्चों और बड़ों को परमात्मा यानी ईसा मसीह से जुड़ने के लिए ब्रेनवॉश किया जाता था। धर्मान्तरण कराने वालों ने यहां पादरी छोड़ दिये जिनका निशाना छोटे बच्चे और किशोर होते थे जिनकी दिमागी सोच आसानी से बदली जा सकती थी। अन्तत: एक दिन करीब 400 लोगो को ईसाई धर्म की दीक्षा भी दे दी गयी। अब उनको चर्च जाने के लिए मजबूर किया जाने लगा, इसके बदले में ईसाई मिशनरी नकद पैसा भी देती थी, इसका लेखा-जोखा एक रजिस्टर में मिला है।
हाल ही में दीवाली आयी तो कनवर्ट हुए लोगो को हिंदू देवी-देवताओं का पूजन करने से रोका गया। ईसाई मिशनरी ने स्थानीय दबंग अनिल चौहान और उसके गुर्गो की मदद से झुग्गियों के गरीबों के घरों में देवी-देवताओं की तस्वीरें फाड़ दी और मूर्तियां फैंक दी। चैम्पियन और विक्रान्त नाम के दो युवकों ने इसके बाद ईसाई मिशनरी के खिलाफ आवाज बुलंद की, दोनो को हिंदू कार्यकर्ता और बीजेपी के नेताओं का साथ मिला जिसके बाद एसएसपी से मामले की शिकायत की गयी। पुलिस ने ब्रह्मपुरी थाने में 4 महिलाओं समेत 9 के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है।