यूपी में बसपा का हाथी साइकिल करेगा पंचर या कमल को खिलने से रोकेगा ?

लोकसभा चुनाव में अब तक घोषित 73 बसपा उम्मीदवारों में 22 मुस्लिम प्रत्याशी समाजवादी पार्टी के गढ़ में ये उम्मीदवार उसके लिए बड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं l उधर बसपा से 15 ब्राह्मण प्रत्याशी भी भाजपा के लिए परेशानी का कारण बने हुए हैं l

लोकसभा चुनाव में अब तक घोषित 73 बसपा उम्मीदवारों में 22 मुस्लिम प्रत्याशी समाजवादी पार्टी के गढ़ में ये उम्मीदवार उसके लिए बड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं l उधर बसपा से 15 ब्राह्मण प्रत्याशी भी भाजपा के लिए परेशानी का कारण बने हुए हैं l मेरठ से देवव्रत त्यागी,उन्नाव से अशोक पांडेय, फर्रुखाबाद से क्रांति पांडेय, अकबरपुर से राजेश द्विवेदी, प्रतापगढ़ से प्रथमेश मिश्रा, फतेहपुर सीकरी से राम विलाश शर्मा, अलीगढ़ से हितेंद्र उपाध्याय, हमीरपुर से निदोॅष दीक्षित, बाँदा से मयंक द्विवेदी, केसरगंज से नरेंद्र पांडेय, धौरहरा श्याम किशोर अवस्थी, फैजाबाद से सच्चिदानंद पांडेय, गोंडा से सौरभ मिश्रा, बस्ती से दयाशंकर मिश्रा, मिर्जापुर से मनीष त्रिपाठी बसपा के टिकट पर चुनाव मैदान में है l इन सभी बसपा के ब्राह्मण प्रत्याशियों से भाजपा के परंपरागत ब्राह्मण मतों में सेंध मारी की संम्भावना बनी हुई है l

बहुजन समाज पार्टी ने 28 अप्रैल को आजमगढ़ लोकसभा सीट पर पूर्व घोषित प्रत्याशी और पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर को सलेमपुर सीट से लड़ने को भेज दिया l और राजभर की जगह कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ की महासचिव रहीं सबीहा अंसारी को आजमगढ़ से पार्टी का उम्मीदवार बना दिया l इस तरह बसपा ने आजमगढ़ में वर्ष 2022 के लोकसभा उपचुनाव जैसी पृष्ठभूमि तैयार कर दी है l तब यहां से चुनाव लड़ रहे सपा उम्मीदवार धर्मेंद्र यादव को मिलने वाले मुस्लि‍म मतों में भारी सेंध लगाकर बसपा उम्मीदवार गुड्डू जमाली ने भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ की राह आसान कर दी थी l 
इस बार लोकसभा चुनाव में गुड्डू साइकिल पर सवार हैं l लेकिन बसपा ने एक बार फिर आजमगढ़ सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारकर सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव को मुश्किल में डाल दिया है जो भाजपा के उम्मीदवार दिनेश लाल यादव निरहुआ से पिछली हार का बदला लेने के लिए मैदान में हैं l आजमगढ़ ही नहीं, राजनीतिक रूप से सपा के लिए मजबूत दुर्ग माने जाने वाली लोकसभा सीटों पर बसपा ने मुस्लिम उम्मीदवार उतारकर साइकिल की चुनौतियों में और इजाफा किया है l बदायूं लोकसभा सीट पर सपा के राष्ट्रीय महासचिव और जसवंतनगर से विधायक शि‍वपाल सिंह यादव के बेटे आदित्य यादव चुनाव मैदान में है l बसपा ने यहां से मुस्लिम खां को टिकट दिया है l

इसी तरह सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखि‍लेश यादव के चुनाव लड़ने की वजह से हाई प्रोफाइल बन चुकी कन्नौज लोकसभा सीट पर बसपा ने इमरान बिन जफर पर दांव लगाया है l फिरोजाबाद लोकसभा सीट, जहां से सपा के प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव राम गोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव चुनाव लड़ रहे हैं, पर बसपा ने अपना पूर्व घोषित उम्मीदवार सत्येंद्र जैन सौली को बदलते हुए चौधरी बशीर को चुनाव मैदान में उतारा है l बशीर 2002 में आगरा कैंट सीट से विधायक चुने गए थे l वे यूपी में मायावती के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री थे l बाद में वे समाजवादी पार्टी में शामिल हो गये लेकिन कुछ समय बाद बशीर ने सपा भी छोड़ दी l उन्होंने फिरोजाबाद से एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा था लेकिन असफल रहे थेl

उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से बसपा अबतक कुल 73 प्रत्याशियों का ऐलान कर चुकी है l इनमें सबसे ज्यादा 22 मुस्लिम, 18 सवर्ण, 17 ओबीसी और 15 दलित हैं. वहीं एक सिख प्रत्याशी को भी टिकट दिया है l इस प्रकार बसपा ने अब तक करीब 30 प्रतिशत सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं. सात सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा होनी अभी बाकी है. ऐसे में बसपा के मुस्लिम उम्मीदवारों की संख्या बढ़ भी सकती है l यह 2019 के आम चुनावों में लोकसभा उम्मीदवारों के लिए बसपा की रणनीति के बिल्कुल विपरीत है, जब सपा के साथ गठबंधन कर चुनाव में उतरी पार्टी ने 38 में से केवल छह मुस्लिम उम्मीदवारों पर भरोसा किया था l यह कुल घोषित उम्मीदवारों का केवल 15% था. उनमें से तीन – गाजीपुर से अफजल अंसारी, अमरोहा से दानिश अली और सहारनपुर से हाजी फजलुर रहमान ने चुनाव जीता था l

वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में बसपा की मुस्लि‍म उम्मीदवारों पर निर्भरता अचानक नहीं है l मायावती ने ऐसा ही प्रयोग 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में किया जब पार्टी ने 99 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट सौंपा था l राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि मायावती के इस कदम से मुस्लिम वोट बंट गए और भाजपा को भारी जीत मिली l  भाजपा ने तब 403 विधानसभा सीटों में से 313 सीटें जीत ली थीं l बसपा खुद सिर्फ 19 सीटें जीत सकी, जिनमें से पांच मुसलमानों के खाते में गईं l वर्ष 2022 के विधानसभा चुनावों में करारी हार के बाद जहां बसपा ने सिर्फ एक सीट जीती और 13% से कम वोट शेयर हासिल किया, मई 2023 में पार्टी ने एक बार फिर से शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में मुसलमानों पर भरोसा किया l

पार्टी ने 11 मुसलमानों को मेयर पद के उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा l यूपी में मेयर की 17 सीटें हैं और बसपा को एक भी सीट नहीं मिली l पश्चिमी यूपी में अपनी रैलियों में मायावती ने कहा कि पार्टी ने अपनी मूल विचारधारा, जिसकी जितनी हिस्सेदारी, उसकी उतनी भागीदारी को ध्यान में रखते हुए क्षेत्र के अधिकांश मुसलमानों को टिकट दिए हैं l यह नारा 1984 में पार्टी संस्थापक कांशी राम ने दिया था l मायावती ने मुसलमानों से बसपा को वोट देने की अपील भी की, क्योंकि पश्चिम यूपी में बसपा के पास भी दलित वोट बैंक है और मुस्लिम और दलित मिलकर मतदाताओं का एक मजबूत गठजोड़ बनाते हैं जो भाजपा को हरा सकते हैं l


तीसरे चरण के लोकसभा चुनाव में सात मई को दस सीटों पर मतदान हुआ l संभल, फिरोजाबाद, आंवला, बदायूं और एटा में बसपा के टिकट पर मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव लड़ें l 19 अप्रैल को पहले चरण में पश्चिमी यूपी की जिन आठ सीटों पर मतदान हुआ, उनमें बसपा ने सहारनपुर, रामपुर, मुरादाबाद और पीलीभीत में मुसलमानों को मैदान में उतारा l दूसरे चरण में, जिसके लिए 26 अप्रैल को पश्चिमी यूपी की आठ सीटों पर मतदान हुआ, बसपा ने अमरोहा से मुस्लिम उम्मीदवार को मैदान में उतारा. इसके अलावा मायावती ने पश्चिमी यूपी की हर रैली में इस इलाके के लिए एक अलग राज्य की मांग करके भी मुस्लि‍मों को लुभाने का ही दांव खेला l

राजनैतिक विश्लेषक बताते हैं,पश्चिमी यूपी के ज्यादातर जिलों में मुस्लिम आबादी काफी संख्या में हैं l पश्चिमी यूपी के अलग राज्य बनने से यहां पर मुस्लिम आबादी बहुसंख्यक होगी l इसी को ध्यान में रखते हुए मायावती मुस्लि‍म मतदाताओं को लुभाने के लिए ही पश्चिमी यूपी में अलग राज्य बनाने का मुद्दा चुनाव में उछाल रही हैं l प्रदेश में सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाले शीर्ष दस लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र पश्चिमी यूपी में हैं l रामपुर में 50.10 फीसद मुस्लिम हैं, जबकि मुरादाबाद में 45.50, बिजनौर में 41.70, सहारनपुर में 39.10, मुजफ्फरनगर में 38.10, अमरोहा में 38, बहराईच में 34.80, बरेली में 33.90, मेरठ में 32.60 और कैराना में 30 फीसद मुस्लिम हैं l

लेखक – मुनीष त्रिपाठी,पत्रकार, इतिहासकार और साहित्यकार है।

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