नोएडा की दवा कंपनी में बने कफ सिरप से उज्बेकिस्तान में 18 बच्चों की हुई थी मौत! सरकार ने लाइसेंस किया रद्द

नोएडा में निर्मित कफ सिरप पीने से उज्बेकिस्तान में कथित रूप से 18 बच्चों की मौत के मामले में कोतवाली फेज-3 पुलिस ने गाजियाबाद के ड्रग्स इंस्पेक्टर आशीष की शिकायत कर कम्पनी मैसर्स मैरियम बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था. कंपनी के ऑपरेशन हेड सहित 3 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद अब खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने अब कफ सीरप बनाने वाली कंपनी का लाइसेंस रद्द कर दिया है.

लखनऊ- नोएडा में निर्मित कफ सिरप पीने से उज्बेकिस्तान में कथित रूप से 18 बच्चों की मौत के मामले में कोतवाली फेज-3 पुलिस ने गाजियाबाद के ड्रग्स इंस्पेक्टर आशीष की शिकायत कर कम्पनी मैसर्स मैरियम बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था. कंपनी के ऑपरेशन हेड सहित 3 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद अब खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने अब कफ सीरप बनाने वाली कंपनी का लाइसेंस रद्द कर दिया है.

पुलिस की गिरफ्त में खड़े मैरियम बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड के ऑपरेशन हेड तुहीन भट्टाचार्य, मैन्युफैक्चरिंग केमिस्ट अतुल रावल और मूल सिंह पुत्र को बी-48, सेक्टर-67 से गिरफ्तार किया गया था. इनकी गिरफ्तारी गाजियाबाद के ड्रग्स इंस्पेक्टर आशीष द्वारा लिए गए दवा सैंपल की नमूनों के मानकों पर खरा ना पाए जाने के बाद की गई थी.

सेंट्रल नोएडा के एडिशनल डीसीपी राजीव दिक्षित ने बताया कि मामले से संबंधित एक शिकायत में कहा गया है कि सेक्टर 67 स्थित दवा कंपनी मैसर्स मैरियम बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड में निर्मित कफ सिरप को मानकों पर खरा नहीं पाया गया था.

शिकायत पर थाना फेस-3 पर धारा 274/275/276 भादवि और 17,17ए,17बी औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 के तहत कंपनी की डारेक्टर जया जैन, सचिन जैन, ऑपरेशन हेड तुहीन भट्टाचार्य, मैन्युफैक्चरिंग केमिस्ट अतुल रावल और मूल सिंह के खिलाफ मुकदमा किया गया था.

मैसर्स मैरियम बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड 2020 में दिसंबर माह में चर्चा में आई थी जब कंपनी द्वारा बनाई गई सिरप पीने से कजाकिस्तान के 18 बच्चों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी. कजाकिस्तान सरकार की सूचना के आधार पर भारत सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया था और कंपनी पर छापेमारी की थी.

केंद्रीय एजेंसियों और उत्तर प्रदेश औषधि विभाग की एक दल ने पिछले साल 29 दिसंबर को यहां कंपनी के कार्यालय का निरीक्षण किया था जांच के लिए 36 नमूने लिए गए थे. नोएडा के औषधि निरीक्षक वैभव बब्बर ने बताया कि निरीक्षण के बाद 22 नमूने फेल हो गये थे.

इस दौरान कंपनी के प्रतिनिधि के डॉक-1 मैक्स के उत्पादन से जुड़े दस्तावेज नही कर पाए थे. इसके बाद सरकार ने उत्पादन पर रोक लगा दी थी. निरीक्षण के दौरान कंपनी के प्रतिनिधि के उत्पादन से जुड़े दस्तावेज दवा के रिकॉर्ड मेंटेनेंस के अलावा रॉ मैटेरियल खरीद की जानकारी समय से नहीं उपलब्ध कराने पर कंपनी का दवा का उत्पादन का लाइसेंस भी निलंबित किया जा चुका है.

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