हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप के खिलाफ रचा था बड़ा षड्यंत्र! SEBI ने किया ये बड़ा खुलासा…

अडानी ग्रुप्स पर रिपोर्ट जारी होने से दो महीने पहले ही हिंडनबर्ग ने अपने क्लाइंट को उस रिपोर्ट की एक कॉपी उपलब्ध कराई थी।

अडानी ग्रुप के ऊपर जारी हिंडनबर्ग रिपोर्ट के मामले में एक बड़ा खुलासा सामने आया है। खबर है कि हिंडनबर्ग ने अपने रिपोर्ट को पब्लिश करने से पहले ही अपने क्लाइंट के साथ अडानी के खिलाफ बनाई गई रिपोर्ट को साझा किया था। मिली जानकारी के अनुसार, अडानी ग्रुप्स पर रिपोर्ट जारी होने से दो महीने पहले ही हिंडनबर्ग ने अपने क्लाइंट को उस रिपोर्ट की एक कॉपी उपलब्ध कराई थी। हिंडनबर्ग मामले में ये पूरा खुलासा भारतीय बाजार नियामक SEBI ने किया है। SEBI के तरफ से जो खुलासा किया गया है उसके तहत अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप के खिलाफ अपनी रिपोर्ट की एक एडवांस कॉपी न्यूयॉर्क में स्थित हेज फंड मैनेजर मार्क किंगडन के साथ पब्लिश करने से करीब दो महीने पहले ही शेयर कर दिया था। जिसके चलते किंगडन ने अडानी  ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में उतार-चढ़ाव का लाभ उठाया था।

सूत्रों से मिली खबर के अनुसार भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ने इस मामले पर हिंडनबर्ग को 46 पन्नों का कारण बताओ नोटिस भेजा है। नोटिस में कहा गया है कि, “यह देखा गया है कि 30 नवंबर, 2022 के आसपास, हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप पर जारी किये गए रिपोर्ट की एक कॉपी शेयर किया, जो कि हाल ही में प्रकाशित हिंडनबर्ग रिपोर्ट के जैसा ही था। हिंडनबर्ग ने अपने ग्राहक, किंगडन कैपिटल मैनेजमेंट के साथ, 26 मई, 2021 को एक “शोध समझौता” हस्ताक्षर  किया था।

नोटिस में आगे ये भी बताया गया है कि, “इस रिपोर्ट के प्रकाशन के बाद अमेरिकी शॉर्ट सेलर, न्यूयॉर्क हेज फंड और कोटक महिंद्रा बैंक से ही जुड़े एक ब्रोकर ने अडानी ग्रुप की 10 लिस्टेड कंपनियों के मार्केट कैप में करीब 150 बिलियन अमेरिकी डॉलर से ज्यादा की गिरावट का फायदा उठाया था।” बता दें, बाजार नियामक के नोटिस में AEL में फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट को बेचने के लिए हेज फंड के एक कर्मचारी और KMIL व्यापारियों के बीच टाइम-स्टैम्प्ड चैट के हिस्सा भी शामिल किया गया है।

SEBI के मुताबिक, KMIL के K-India ऑपर्च्युनिटीज फंड लिमिटेड में कंट्रोलिंग स्टेक रखने वाले मार्क किंगडन ने हिंडनबर्ग के उसी रिपोर्ट के आधार पर प्रतिभूतियों में व्यापार से फायदा का 30 प्रतिशत साझा करने की डील की थी। जिसके बाद K-India Fund के जरिए ट्रेड्स को प्राप्त करने के लिए जरूरी अतिरिक्त समय और प्रयास के कारण इस लाभ-साझाकरण व्यवस्था को बाद में 25% तक निपटा दिया गया था।

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