Lateral Entry In UPSC: ’17 अगस्त को UPSC ने सीनियर अफसरों की नियुक्ति के लिए नोटिफिकेशन जारी किया था. इसमें कुल पदों की संख्या 45 है. ये पद लेटरल एंट्री से भरे जाएंगे. यानी ये UPSC की ज़्यादातर भर्ती परीक्षाओं की तरह एंट्री लेवल पर न होकर सीधे उच्च पदों में भर्ती के लिए हैं. 45 पदों में 10 संयुक्त सचिव और 35 निदेशक और उप-सचिव के पद हैं. इनकी नियुक्तियां केंद्र सरकार के 24 मंत्रालयों में की जाएंगी. लेटरल एंट्री के इन पदों का नोटिफिकेशन आते ही विवाद छिड़ गया. कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी समेत कई विपक्षी पार्टियां तो सरकार पर आरोप लगा ही रही हैं लेकिन अब विपक्षी दलों के साथ-साथ सत्ताधारी NDA के भीतर भी विरोध के स्वर उठने लगे हैं. नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) और चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास पासवान) ने इस कदम को लेकर भाजपा का विरोध किया है. उनके मुताबिक, किसी भी सरकारी भर्ती में आरक्षण से जुड़े प्रावधान होने ही चाहिए.
‘सरकारी नौकरी में आरक्षण होना चाहिए’
LJP (रामविलास) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान का कहना हैं कि वह केंद्र के सामने यह मुद्दा उठाएंगे. पासवान ने कहा, ‘किसी भी सरकारी नियुक्ति में आरक्षण का प्रावधान होना चाहिए. इसमें कोई किंतु-परंतु नहीं है. निजी क्षेत्र में आरक्षण नहीं है और अगर सरकारी पदों पर भी इसे लागू नहीं किया जाता है… यह जानकारी रविवार को मेरे सामने आई और यह मेरे लिए चिंता का विषय है.’ बता दें कि पासवान की पार्टी केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व वाले NDA का हिस्सा है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जहां तक उनकी पार्टी का सवाल है, वह इस तरह के कदम के बिल्कुल समर्थन में नहीं है.
‘विपक्ष को मुद्दा थमा रही सरकार’
जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने का कहना हैं कि, ‘हम ऐसी पार्टी हैं जो शुरू से ही सरकारों से आरक्षण भरने की मांग करते रहे है. हम राम मनोहर लोहिया के अनुयायी हैं. जब सदियों से लोग सामाजिक रूप से वंचित रहे हैं, तो आप योग्यता क्यों मांग रहे हैं? सरकार का यह आदेश हमारे लिए गंभीर चिंता का विषय है.’ त्यागी ने कहा कि ऐसा करके सरकार विपक्ष को मुद्दा थमा रही है. उन्होंने कहा, ‘एनडीए का विरोध करने वाले लोग इस विज्ञापन का दुरुपयोग करेंगे. राहुल गांधी सामाजिक रूप से वंचितों के हिमायती बन जाएंगे. हमें विपक्ष के हाथों में हथियार नहीं देना चाहिए.’