
यूपी में 69000 सहायक शिक्षक भर्ती आरक्षण घोटाला का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाईकोर्ट डबल बेंच के आदेश को रोकने के लिए अचयनित जनरल वर्ग के अभ्यर्थियों ने अब सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। सरकार से भर्ती की मूल चयन सूची न बनाने की मांग की है। मूल चयन सूची न बनाएं जाने के लिए अचयनित जनरल वर्ग के अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। हाई कोर्ट डबल बेंच के आदेश के बाद सरकार यदि मूलचयन सूची बनाती है तो 19000 गलत तरह से लगाए गए शिक्षक इस भर्ती की सूची से होंगे बाहर।
19000 सीटों पर आरक्षण घोटाले का लखनऊ डबल बेंच में केस लड़ रहे स्पेशल अपील 172/2023 के मुख्य पैरवीकार भास्कर सिंह एवं सुशील कश्यप ने कहा कि सरकार की हीला-हवाली की वजह से यह मामला जा सकता है सुप्रीम कोर्ट क्योंकि सरकार लिस्ट को बनाने में देरीकर रही है। वहीं उन्होंने आगे कहा कि लखनऊ हाई कोर्ट डबल बेंच की तरह सुप्रीम कोर्ट में हम ही जीतेंगे, सुप्रीम कोर्ट में खड़ा करेंगे अधिवक्ताओं का मजबूत पैनल।
बता दें कि शिक्षक भर्ती में ओबीसी वर्ग को 27% की जगह मिला है 3.86% तथा एससी वर्ग को मिला है 21% की जगह 16.2% आरक्षण दिया गया है। भर्ती में बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 तथा आरक्षण नियमावली 1994 का हुआ है घोर उल्लंघन हुआ है।
सरकार ने इस भर्ती में 19000 सीटों पर आरक्षण का घोटाला करके इस भर्ती मे ऐसे 19000 अभ्यर्थियों का चयन कर लिया जिन्हें इस भर्ती प्रक्रिया में होना ही नहीं चाहिए था और जिन ओबीसी-एससी के अभ्यर्थियों को इस भर्ती प्रक्रिया में शामिल होना चाहिए था वह पिछले 4 साल से न्याय के लिए धरना प्रदर्शन, नेताओं के यहां जाकर न्याय की गुहार लगाना, जनता दरबार में प्रार्थना पत्र देने, मंत्री, विधायक, सांसद आदि से मिलकर न्याय पाने की लगा रहे है गुहार लेकिन नहीं सुन रही सरकार कोर्ट का बहाना लगाकर सरकार हर बार बचने का प्रयासकरती है ।
भाजपा के कई विधायक भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिख चुके हैं पत्र कि आरक्षण मुद्दे का जल्द से जल्द समाधान कर रिट कोर्ट के अभ्यर्थियों को दिया जाए न्याय। लखनऊ हाई कोर्ट डबल बेंच ने 13 अगस्त को 69000 शिक्षक भर्ती की पूरी लिस्ट को रद्द करते हुए बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 और आरक्षण नियमावली 1994 का पालन करते हुए 3 माह के अंदर पूरी लिस्ट को मूल चयन सूची के रूप में बनाने के दिए थे आदेश। शिक्षक भर्ती में 19000 सीटों पर हुए आरक्षण घोटाले को लेकर पिछड़ा दलित संयुक्त मोर्चा 4 साल से हाई कोर्ट में लड़ रहा है केस।
अगर सरकार लखनऊ हाईकोर्ट डबल बेंच का आदेश आने के बाद 8 दिन में लखनऊ हाई कोर्ट डबल बेंच में रिट कोर्ट के 4000 याचिकाकर्ताओ को न्याय दे देती, तो यह मामला पूरी तरह से यही निस्तारित हो जाता लेकिन अधिकारी खुद योगी आदित्यनाथ की छवि खराब करने में लगे हुए हैं इसलिए वह खुद चाहते थे कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट जाए ताकि सुप्रीम कोर्ट में योगी सरकार की और छवि खराब हो।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि आज तक इस भर्ती में 19000 सीटों पर हुए आरक्षण घोटाले की लिस्ट बनाने वाले किसी भी अधिकारी के खिलाफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कार्यवाही नहीं की और यही अधिकारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि पिछले 4 साल से खराब कर रहे हैं… इन्हीं अधिकारियों की वजह से यूपी मे विधानसभा चुनाव में तथा लोकसभा चुनाव में संविधान का मुद्दा गूंजा। आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों की नजर में भर्ती में आरक्षण घोटाला करने वाले अधिकारी हैं दोषी….आखिर इनको कौन बचा रहा है, इनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए और इनकी संपत्ति की जांच होनी चाहिए।









