बेसिक शिक्षा की इस “अनोखी टीचर” की कहानी सुनकर आपने पैरों तले जमीन खिसक जाएगी

मेरठ के सीना गांव में सहायक अध्यापिका सुजाता यादव 10 साल से तैनात थी। इस दौरान वह लंबे समय गैरहाजिर रही है। सरकारी नौकरी में गैरहाजिर रहकर सेटिंग से सरकारी वेतन पाने वाली सुजाता यादव ने छुट्टियों का रिकॉर्ड बनाया है। हैरत की बात यह है कि ये छुट्टियां उनकी सर्विस बुक में रिकॉर्ड नहीं है। भारत समाचार ने 22 अगस्त 2024 को खबर प्रसारित की थी… “सैयां हमार कोतवाल”

खबर प्रसारित हुई तो बेसिक शिक्षा विभाग के अफसर की आंखें खुल गई। बेसिक शिक्षा अधिकारी के आदेश पर इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्य जांच समिति गठित की गई।

जांच समिति ने पाया कि सितंबर 2014 से प्राथमिक विद्यालय सीना में तैनात सुजाता यादव दो बार निलंबित रही हैं। मार्च 2024 से नए सहायक अध्यापक (प्रभारी हेडमास्टर) कुलदीप सिंह की नियुक्ति के बाद उपस्थिति पंजिका में गैर हाजिरी के चलते उनका वेतन रोका गया।

जांच समिति ने माना कि सुजाता यादव की स्कूल में भौतिक उपस्थिति और शिक्षण कार्य अत्यंत कम है। शिक्षिका को उदारता पूर्वक अवकाश नियमावली के प्रावधानों के विपरीत अवकाश स्वीकृत किए गए हैं। सेवा नियमावली के मुताबिक एक साल में सिर्फ तीन बार बाल्य देखभाल अवकाश लिया जा सकता है।

सुजाता यादव की छुट्टियों का लेखा-जोखा सरकारी विभाग में अफसरों की सेटिंग से सरकारी खजाने में सेंध लगाने का उत्कृष्ट उदाहरण है।

कुछ नजीरें देखिए..
सन 2014 में सुजाता यादव एक भी दिन विद्यालय नहीं आई।

उनको वर्ष 2014 में छह बार बाल्य देखभाल अवकाश स्वीकृत किया गया।

2015 में उनकी भौतिक उपस्थित केवल 27 दिन है और 9 बार बाल्य देखभाल अवकाश स्वीकृत किया गया।

2016 में 131 दिन भौतिक रूप से उपस्थित रही।

2017 में केवल 43 दिन की हाजिरी, 6 बार बाल्य देखभाल अवकाश स्वीकृत किया गया।

2018 में सिर्फ 8 दिन की हाजिरी।
अगस्त 2018 से 9 जनवरी 2020 तक वह निलंबित रही।
2020 में 148 दिन स्कूल में उपस्थिति रही।
2021 में 187 दिन की हाजिरी
2022 में 173 दिन की हाजिरी
(इन दोनो बरसों में कोविडकाल रहा है)

2023 में सिर्फ 50 दिन उपस्थिति रही है।

उपस्थिति पंजिका में कटिंग, फ्लूड ओवरराइटिंग इतनी है कि जांच समिति ने हस्ताक्षरों की प्रमाणिकता से हाथ खड़े कर दिए। साफ लिखा कि इसकी प्रमाणिकता जांच समिति द्वारा नहीं की जा सकती। यानी इसके लिए फोरेंसिक साइंस का सहारा लेना होगा।

जांच के दौरान एक और चमत्कार हुआ। एक अनाम व्यक्ति ने सुजाता यादव की बागपत में तैनाती के दौरान की उपस्थिति पंजिका की छायाप्रति उपलब्ध कराई। छाया प्रतियों का अभी जांच समिति ने वेरिफिकेशन नही किया है लेकिन सुजाता का बागपत का कार्यकाल अफसरों की आंखें खोलने वाला है।

बागपत में सुजाता यादव का कार्यकाल 7 साल का रहा है। यहां तैनाती के दौरान उनको 2 बच्चे भी पैदा हुए। सुजाता ने जो छुट्टियां ली उनमें 646 दिन बाल्य देखभाल अवकाश है। 330 दिन मातृत्व अवकाश है और 425 दिन का चिकित्सा अवकाश है। इस दौरान 143 दिन का अवैतनिक अवकाश अभिलेखों में अंकित है।

परंतु भौतिक सेवा पंजिका/ ई-सेवा पंजिका के अवकाश लेखे में इतने सारे अवकाशों की कोई प्रविष्टि नहीं की गई है। यह बताता है कि विभाग में किस तरह सेटिंग करके सरकारी खजाने से हर महीने सुजाता को बेरोकटोक वेतन मिलता रहा।

7 साल में लंबे कार्यकाल के दौरान सुजाता की स्कूल में भौतिक उपस्थित महज 150 दिन की अंकित है।

जांच टीम की रिपोर्ट के आधार पर बेसिक शिक्षा अधिकारी आशा चौधरी ने सुजाता यादव को निलंबित कर दिया है।

सीना प्राथमिक विद्यालय में जनवरी 2024 से पूर्व प्रधानाध्यापक रहे धर्म सिंह को भी निलंबित किया गया है। सुजाता यादव की गैर हाजिरी को उपस्थिति पंजिका में उपस्थित दिखाकर धर्म सिंह ने बरसों उनका वेतन आहरित करवाया।

इतने तथ्य बेसिक शिक्षा विभाग ने अपनी रिपोर्ट में दर्ज किए है लेकिन फिर भी बेसिक शिक्षा अधिकारी ने भारत समाचार की खबर को आंशिक सत्य माना है। भारत समाचार के कैमरे पर सुजाता का सच बताने वाले सहायक शिक्षक और प्रभारी हेडमास्टर कुलदीप सिंह की आगामी वेतनवृद्धि बीएसए ने रोक दी है। उन्होंने कुलदीप का आचरण सेवा नियमावली के विरुद्ध माना है।

यहां यह बताना जरूरी है कि कुलदीप की आपत्ति के बाद विभाग से सुजाता का वेतन आहरित करना बंद किया था। बेसिक शिक्षा विभाग के अफसर भी सुजाता का अवकाश घोटाला जानते थे लेकिन इसके बावजूद भी उसका वेतन निरंतर निकलता रहा। कुलदीप ने बीएसए को इस मामले की कई लिखित शिकायतें रजिस्टर्ड डाक से भेजी लेकिन हर बार चिट्ठियां बीएसए ऑफिस में दबा दी गई।

बेसिक शिक्षा विभाग में सुजाता यादव का प्रभाव कितना था इसका अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके पति धर्मेंद्र यादव मेरठ एसटीएफ में लंबे समय तैनात रहे हैं और वर्तमान में यूपी पुलिस के इंस्पेक्टर हैं।

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